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DERC Electricity Bill: महंगी बिजली दरों का दिल्ली वालों पर पड़ेगा सीधा असर ? DERC के दरें बढ़ाने के बाद दिल्ली सरकार ने जारी किया बयान

DERC Electricity Bill: पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत हर तिमाही समीक्षा में बिजली की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी या घटोत्तरी होती है। दिल्ली सरकार द्वारा बताया गया है कि इस बढ़ोतरी का ग्राहकों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा और यह एक सामान्य तिमाही समीक्षा प्रक्रिया है। दरअसल, रिलायंस एनर्जी की कंपनी बॉम्बे सबअर्बन इलेक्ट्रिक सप्लाई ने दिल्ली में बिजली की खरीद को लेकर डीईआरसी के सामने अर्जी लगाई थी। दिल्ली बिजली आयोग ने पॉवर परचेज एग्रीमेंट के आधार पर रेट बढ़ाने की इजाजत दी है।

नई दिल्ली। दिल्ली वासियों को बिजली बिल के मामले में एक बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। खबरों के अनुसार दिल्ली विद्युत नियामक आयोग की तरफ से कहा गया था कि बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी होने वाली है। इस पर दिल्ली सरकार का कहना है कि बढ़ी कीमतों का सीधा असर दिल्ली वासियों के ऊपर नहीं पड़ेगा। दिल्ली सरकार के मुताबिक पावर चेंज एग्रीमेंट के तहत बिजली की कीमतें अक्सर घटती या बढ़ती रहती हैं। राज्य के भीतर सर्दियों के मौसम में बिजली सस्ती हो जाती है, जबकि गर्मियों में दरों में थोड़ी वृद्धि हो जाती है।

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दिल्ली सरकार के मुताबिक, पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत हर तिमाही समीक्षा में बिजली की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी या घटोत्तरी होती है। दिल्ली सरकार द्वारा बताया गया है कि इस बढ़ोतरी का ग्राहकों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा और यह एक सामान्य तिमाही समीक्षा प्रक्रिया है। दरअसल, रिलायंस एनर्जी की कंपनी बॉम्बे सबअर्बन इलेक्ट्रिक सप्लाई ने दिल्ली में बिजली की खरीद को लेकर डीईआरसी के सामने अर्जी लगाई थी। दिल्ली बिजली आयोग ने पॉवर परचेज एग्रीमेंट के आधार पर रेट बढ़ाने की इजाजत दी है। बिजली की कीमतों के नए टैरिफ के पीछे सौर ऊर्जा का बड़ा कारण बताया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने पहले भी बिजली की दर बढ़ाने पर बिजली कंपनियों को खर्च उठाने का आदेश दिया था और इससे लोगों के बिलों में कोई अंतर नहीं आया।

बिजली बिलों में कीमतों की वृद्धि होने पर राज्य के भीतर उपभोक्ताओं को अधिक बिल भुगतान करना पड़ सकता है। यह उनके बजट पर असर डाल सकता है और उनकी वाणिज्यिक और व्यक्तिगत खर्चों पर दबाव बना सकता है। इसके साथ ही बिजली बिलों की बढ़ोतरी से व्यक्तिगत आर्थिक बोझ बढ़ सकता है, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आय वाले परिवारों के लिए। इससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है और वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में मुश्किलों का सामना कर सकते हैं।