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Farm Laws: कल पेश होगा कृषि कानून रद्द करने का बिल, आज होने जा रही है सर्वदलीय बैठक

सत्र के पहले ही दिन केंद्र की मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाला बिल पेश करेगी। पहले ये बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद राज्यसभा में इसे पास कराया जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बिल को पेश करेंगे।

नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र कल से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के पहले ही दिन केंद्र की मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाला बिल पेश करेगी। पहले ये बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद राज्यसभा में इसे पास कराया जाएगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बिल को पेश करेंगे। बीजेपी और कांग्रेस ने इसके लिए अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है। उधर, सरकार ने सत्र के दौरान संसद को सुचारू ढंग से चलाने के लिए आज सभी दलों की बैठक बुलाई है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू भी विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। सरकार की कोशिश है कि संसद में सबसे पहले कृषि कानूनों को रद्द करने का बिल पारित कराया जाए, ताकि सदन में विपक्ष के व्यवधान को कम किया जा सके और सुचारू रूप से कार्यवाही चले।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था।  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बारे में विधेयक को मंजूरी दी है। लोकसभा की 29 नवंबर की कार्यवाही सूची के अनुसार, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को निरस्त करने और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन करने के बिल पेश करेंगे।

farmer protest

वहीं, किसान नेताओं के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद तक अपने ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया है। इससे भी सरकार ने राहत की सांस ली है। संसद में विधेयक वापस लेने के बाद किसान मोर्चा आगे की रणनीति पर काम करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वह किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की गारंटी देने वाले कानून की मांग पर सरकार की ओर से आश्वासन चाहता है। जिसके बाद ही आंदोलन को खत्म किया जाएगा।