नई दिल्ली। सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और राजधानी दिल्ली के अन्य बॉर्डरों पर एक साल से ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेता और अन्य लोग आज से अपने घर चले जाएंगे। बीते दिनों मोदी सरकार ने इनकी मांगें मान ली थीं। कृषि कानून तो नवंबर में ही खत्म कर दिए गए थे। ऐसे में अब आंदोलनकारियों और उनके सामान ले जाने के लिए पंजाब और हरियाणा से उनके घरवाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर पहुंचे हैं। आंदोलन को आज 379वां दिन हो गया है। सरकार की ओर से लिखित में किसानों की मांग माने जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा SKM के सदस्यों ने आंदोलन खत्म करने का फैसला किया था। अब दिल्ली के सभी बॉर्डर पर गठरियां, तिरपाल, तंबू वगैरा बंधे हुए दिख रहे हैं। पक्के निर्माण खुद आंदोलनकारियों ने तोड़ दिए हैं। इससे दिल्ली के बाहर से रोज राजधानी आने-जाने वालों को भी राहत मिली है।
एक अखबार के मुताबिक पंजाब और हरियाणा से करीब 500 ट्रैक्टर-ट्राली लेकर लोग कुंडली बॉर्डर पहुंचे हैं। आज यहां आंदोलन खत्म करने से पहले अरदास होगी। फिर लंगर चलेगा। लंगर के बाद किसानों के जत्थे अपने सामान के साथ ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर बैठेंगे और अपने घरों को लौट जाएंगे। जानकारी के मुताबिक कुंडली में किसानों ने सामान की पैकिंग का काम पूरा कर लिया है। किसानों ने तय किया है कि वे अलग-अलग जत्थों में लौटेंगे, ताकि जीटी रोड पर जाम से आम लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो। हालांकि, आज शनिवार है और ज्यादातर दफ्तरों में छुट्टी होती है। फिर भी किसानों का ये फैसला सराहनीय जरूर माना जाएगा।
इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने 15 जनवरी को दिल्ली में फिर बैठक का एलान किया है। मोर्चा के मुताबिक तमाम किसान नेता 13 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाएंगे और वहां माथा टेककर अरदास करेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन को उन्होंने खत्म नहीं किया है, बल्कि इसे स्थगित किया है। अगर उनकी मांग को सरकार ने लंबे वक्त तक लौटाया, तो वे फिर दिल्ली की सीमाओं पर आकर बैठ जाएंगे। सरकार क्या कर रही है, इसकी समीक्षा एसकेएम के नेता हर महीने करेंगे। 15 जनवरी की बैठक में वो आगे की रणनीति भी बनाएंगे।