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Jammu Kashmir: फारूक अब्दुल्ला का तालिबान प्रेम, बोले- रिश्ता रखने में कैसा नुकसान?

Jammu Kashmir: आगे जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा कि ये जम्मू-कश्मीर का कोई मामला नहीं है। तालिबान यहां नहीं आने वाला। वो पहले अपना मामला सुलझा लें। हमारे बस डराया गया कि तालिबान यहां भी आने वाला है।

नई दिल्ली। तालिबान के साथ भारत को हाथ मिला लेना चाहिए…ये हम नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला का कहना है जिन्होंने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए तालिबान से रिश्ते बेहतर करने के लिए कहा है। इतना ही नहीं फारूक अब्दुल्ला का ये भी कहना है कि ‘तालिबान अब वहां सत्ता में हैं, तो उनसे भारत को बात कर लेनी चाहिए। तालिबान से रिश्ता रखने में नुकसान ही क्या है?।’

farooq-abdullah

बता दें, नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने भारी निवेश का हवाला देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को अफगानिस्तान में तालिबान निजाम से बातचीत करनी चाहिए क्योंकि अब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार है ऐसे में उनसे बातचीत की जानी चाहिए। तालिबान के साथ रिश्ते बनाने की सलाह देने के साथ ही फारूख अब्दुल्ला ने यह सवाल भी किया कि तालिबान से रिश्ता रखने में नुकसान ही क्या है?।

farooq abdullah and taliban

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘तालिबान अब अफगानिस्तान की सत्ता में है। अफगानिस्तान में पुरानी सत्ता के दौरान भारत ने अलग-अलग परियोजनाओं में अरबों खर्च किए। हमें अफगानिस्तान की मौजूदा सत्ता से बात करनी चाहिए। जब हमने इस देश में इतना निवेश किया है, तो उनसे रिश्ता रखने में क्या नुकसान है?’

फारूक अब्दुल्ला

‘अफगानिस्तान एक आजाद मुल्क’- अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने अफगानिस्तान को आजाद मुल्क बताते हुए कहा कि अब वहां तालिबान की वापसी हो चुकी है। भारत ने वहां तीन बिलियन रुपये तालिबान में खर्च किए हैं। अफगानी यहां आज भी आराम से रह रहे हैं। ऐसे में हमें उनकी हुकूमत से बात करनी चाहिए। उनसे दोस्ती करना क्या परेशानी है?।

‘कश्मीर नहीं आने वाला तालिबान’

आगे जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा कि ये जम्मू-कश्मीर का कोई मामला नहीं है। तालिबान यहां नहीं आने वाला। वो पहले अपना मामला सुलझा लें। हमारे बस डराया गया कि तालिबान यहां भी आने वाला है। आपको बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर एक बार फिर से अपनी हुकूमत कायम कर ली है। हालांकि, अभी तालिबान के इतिहास को देखते हुए भारत ने उससे दूरी बना रखी है। केंद्र सरकार इसके मसले पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है और ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपना रही है।