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Mumbai : पहली बार केंद्र करेगा मुंबई में उपभोक्ता आयोगों के साथ रियल एस्टेट उपभोक्ता शिकायत पर चर्चा, इन बातों पर होगी नजर

Mumbai : आपको बता दें कि इस तरह का सम्मेलन पिछले वर्षों के दौरान भी किया गया था, जिसमें अभूतपूर्व सफलता दिखी थी, इसी को देखते हुए एक बार फिर इस सम्मेलन का आयोजन महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से किया जाएगा। उपभोक्ता आयोगों के कुल मामलों में रियल एस्टेट के मामले लगभग 10 प्रतिशत हैं। अब तक, उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में 2,30,517 मामले दायर किए गए हैं और अब तक 1,76,895 मामलों का निपटारा किया जा चुका है जबकि 53,622 मामले लंबित हैं। आवास क्षेत्र से संबंधित मामलों से निपटने के लिए रेरा और एनसीएलटी जैसे अलग-अलग न्यायाधिकरणों के बावजूद, विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में मामलों की लंबित समयसीमा में वृद्धि हो रही है।

मुंबई। बीते काफी समय से लंबित चल रहे कंज्यूमर मामलों के निपटान के संदर्भ में पिछले प्रयासों की उल्लेखनीय सफलता को दृष्टिगत रखते हुए, भारत सरकार का उपभोक्ता मामले विभाग 18 अप्रैल, 2023 को मुंबई में “रियल एस्टेट क्षेत्र से संबंधित शिकायतों का प्रभावी ढंग से निवारण कैसे करें” विषय पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। ये रियल एस्टेट संबंधी शिकायतों के प्रभावी निवारण में सहायक सिद्ध होगा।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस तरह का सम्मेलन पिछले वर्षों के दौरान भी किया गया था, जिसमें अभूतपूर्व सफलता दिखी थी, इसी को देखते हुए एक बार फिर इस सम्मेलन का आयोजन महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से किया जाएगा। उपभोक्ता आयोगों के कुल मामलों में रियल एस्टेट के मामले लगभग 10 प्रतिशत हैं। अब तक, उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में 2,30,517 मामले दायर किए गए हैं और अब तक 1,76,895 मामलों का निपटारा किया जा चुका है जबकि 53,622 मामले लंबित हैं। आवास क्षेत्र से संबंधित मामलों से निपटने के लिए रेरा और एनसीएलटी जैसे अलग-अलग न्यायाधिकरणों के बावजूद, विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में मामलों की लंबित समयसीमा में वृद्धि हो रही है।

गौर करने वाली बात ये है कि ये पहला मौका हो गए जब विभाग, रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण के लिए इतने व्यापक स्तर पर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। सम्मेलन में शामिल किए जाने वाले कुछ प्रमुख क्षेत्रों में से आवास क्षेत्र में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए आवश्यक प्रणालीगत और नीतिगत हस्तक्षेप होंगे। इस संबंध में, उपभोक्ता आयोगों में दायर मामलों का विश्लेषण किया जाएगा और उपभोक्ता मामलों में परिणाम देने वाले प्रमुख कारकों की पहचान की जाएगी और उन पर चर्चा की जाएगी।