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Kanjhawala Case: अंजलि को रौंदने वाले आरोपियों की खैर नहीं, अब हर सच उठेगा पर्दा, FSL ने उठाया ये बड़ा कदम

Kanjhawala Case: आपको बता दें कि जिन पुलिसकर्मियों पर लापरवाही बरते जाने के बाद आरोप लगे थे, लेकिन उन सभी को गृह मंत्रालय की अनुशंसा के बाद बर्खास्त कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उन्हें बर्खास्त किए जाने का फैसला किया गया है।

नई दिल्ली। कंझावला मामले में फॉरेंसिक साइंस लैब ने आरोपियों की रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के बाद अब यह साफ हो जाएगा कि आरोपियों ने शराब पी रखी थी की नहीं? और अगर पी रखी थी, तो कितनी पी रखी थी? बता दें कि आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में घटना के वक्त शराब पीने की बात कबूली थी, लेकिन इस बात की पुष्टि तब तक नहीं हो जाती, जब तक की रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती। वहीं, आज शाम तक अंजलि की विसरा रिपोर्ट भी पुलिस को सौंप दी जाएगी। जिसमें अंजलि के शराब पीने की बात को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।

ध्यान रहे कि अंजलि की सहेली निधि ने मीडिया से बातचीत के दौरान अंजलि के शराब पीने की बात कही थी, लेकिन पीएम रिपोर्ट में उसके शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई थी, जिसके बाद निधि सवालों के घेरे में आ गई। याद दिला दें कि घटना के वक्त निधि अंजलि के साथ ही थी, लेकिन उसे मामूली चोटें आईं, तो वहीं अंजलि को कार सवार आरोपियों ने 12 किलोमीटर तक घसीटा था। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

Kanjhawala Case

उधर, आपको बता दें कि जिन पुलिसकर्मियों पर लापरवाही बरते जाने के बाद आरोप लगे थे, उन सभी को गृह मंत्रालय की अनुशंसा के बाद बर्खास्त कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उन्हें बर्खास्त किए जाने का फैसला किया गया है। बता दें कि अब तक दिल्ली पुलिस के 11 जवानों को बर्खास्त कर दिया गया है। अब आगामी दिनों में इसमें कितने पुलिसकर्मी रडार पर आते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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उधर, अंजलि के परिजनों की तरफ से आरोपियों के खिलाफ धारा 302 यानी की हत्या का धारा के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही है। परिजनों की तरफ से लगातार यह मांग तेजी होती जा रही है। यही नहीं, पुलिस थाने के पास इस मांग को लेकर परिजनों का धरना भी जारी है। लेकिन अभी तक पुलिस की तरफ से इस दिशा में कोई सार्थक कदम उठाने के संकेत नहीं दिए गए हैं। बता दें कि वर्तमान में आरोपियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज है। इसमें आरोपी को अधिकतम 10 वर्ष की सजा सुनाई जाती है। उधर, आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद आरोपी को फांसी और आजीवान कारावास की सजा सुनाई जाती है।