नई दिल्ली। आज की तारीख में सूचनाओं का सैलाब उमड़ रहा है। आम जनमानस उस सैलाब में सराबोर नजर आ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर उस सैलाब में समाहित जल कितना परिशुद्ध है। परिलक्षित है कि अशुद्ध जल जिस तरह से आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, ठीक उसी प्रकार से अविश्ननीय सूचना भी किसी पाठक के लिए घातक मानी जाती है। लिहाजा सूचना को परिष्कृत करने के लिए एक स्थायी यंत्र की मांग हमेशा से उठती रही है, लेकिन अफसोस यह मांग आज तक महज मांग ही है। इसे वास्तविक रूप देने की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।
उधर, प्राय: भ्रामक विज्ञापनों के जरिए पर आम जनमानस को दिग्भ्रमित का अर्थ करने का प्रयास किया जाता है, जिसके दुभर परिणाम परिलक्षित होते हैं, लेकिन अब इस पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने की दिशा में दिशानिर्देश सार्वजनिक किए गए हैं। जिसमें किसी भी जन संचार माध्यम में किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी विज्ञापन को जारी करने की पूरी रूपरेखा समाहित की गई है। नए दिशानिर्देश के मुताबिक, मादक पदार्थों के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है, तो वहीं विज्ञापन का प्रचार करने वाले चर्चित सितारों की भी जवाबदेही तय की गई है। किसी भी विज्ञापन को सार्वजनिक करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करने की जानकारी समाहित की गई है। इसके अलावा टीवी चैनलों को भी विशेष दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि कैसे किसी भी विज्ञापन को सार्वजनिक करते समय उन्हें विशेष बातों का ध्यान रखने का सुझाव दिया गया है।
ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से भ्रामक सूचनाओं के आधार पर पाठकों और दर्शकों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए उपरोक्त कदम की प्रासंगिकता स्पष्ट होती है। बहरहाल, बतौर पाठका आपका उपरोक्त प्रकरण पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम