newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

लॉकडाउन में लगा कर्मचारियों को झटका, केंद्र सरकार ने पूरा वेतन देने का निर्देश लिया वापस

सरकार के इस आदेश को लेकर प्राइवेट कंपनियों का कहना था कि ये निर्देश एक तरह से मनमानी वाला है और इससे संविधान के अनुच्छेद 19(1) (g) जी का उल्लंघन होता है, जिसमें उन्हें कारोबार या व्यापार करने की गारंटी दी गई है। 

नई दिल्ली। लॉकडाउन लागू किए जाने के कुछ दिन बाद ही 29 मार्च को गृह सचिव अजय भल्ला ने दिशानिर्देश जारी कर सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें। बता दें कि कर्मचारियों के लिए इस खुशखबरी वाले निर्देश को अब वापस ले लिया गया है।

private employee

मोदी सरकार ने कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने का अपना पुराना निर्देश वापस ले लिया है। जिसका मतलब ये हुआ कि अब कंपनियां इसके लिए बाध्य नहीं होंगी कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी दें। इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिली है, लेकिन कामगारों को झटका लगा है।

PM Narendra Modi

कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए देश भर में 25 मार्च से लागू लॉकडाउन का चौथा चरण अब 18 मई से लागू हो चुका है। गृह मंत्रालय ने तब यह भी निर्देश दिया था कि उन मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो लॉकडाउन के दौरान किराया न दे पाने वाले स्टूडेंट्स या प्रवासी कामगारों को मकान खाली करने के लिए दबाव बना रहे हों।

Supreme Court

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी न दे पाने वाली कंपनियों पर किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न करे। कर्नाटक की कंपनी फिकस पैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने सरकार के इस आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया।

सरकार के इस आदेश को लेकर प्राइवेट कंपनियों का कहना था कि ये निर्देश एक तरह से मनमानी वाला है और इससे संविधान के अनुच्छेद 19(1) (g) जी का उल्लंघन होता है, जिसमें उन्हें कारोबार या व्यापार करने की गारंटी दी गई है।