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Gujarat: गुजरात का ढुंडी बना सोलर केंद्र, किसानों ने सौर ऊर्जा पैदा कर पेश की विकास की नई मिसाल

Gujarat: खेड़ा जिले की ठासरा तहसील से दो किलोमीटर दूर ढुंडी गांव के किसानों ने सौर ऊर्जा उत्पादक सहकारी मंडली गठित कर सौर ऊर्जा के उत्पादन में राष्ट्र को नई दिशा दिखा रहे हैं।

नई दिल्ली। कहते हैं कि जब कुछ कर गुजरने का हौसला हो, तो सफलता का रास्ते खुद बन जाता हैं। इन्हीं पंक्तियों को साक्षात्कार करते हुए खेड़ा जिले की ठसरा तहसील से दो किलोमीटर दूर ढुंडी गांव के किसानों ने सौर ऊर्जा उत्पादक सहकारी मंडली गठित कर सौर ऊर्जा के उत्पादन में राष्ट्र को नई दिशा दिखा रहे हैं। इन किसानों ने टेक्नॉलोजी का उपयोग कर आसमान में चमकते सूरज की उर्जा का सही इस्तेमाल कर खेती करने के अलावा इससे बिजली पैदा कर मध्य गुजरात विद्युत कंपनी लिमिटेड को बेचकर प्रत्येक किसान ने लगभग डेढ़ लाख रुपये की आय प्राप्त की। आपको बता दें कि इन किसानों ने अपनी एक मंडली बनाई है और जिसमें 16 किसान सदस्य शामिल हैं। अपनी इस खास उपलब्धि पर बात करते हुए इस किसान मंडली के मंत्री प्रवीण परमार के अनुसार साल 2019 तक नौ किसानों की ओर से 2,08,913 यूनिट बिजली एमजीवीसीएल नाम की कंपनी को बेचकर 10 लाख रुपये की आय प्राप्त की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मई 28 को गुजरात का दौरा करेंगे, जहां वो सहकारी क्षेत्र से संबंधित एक कॉन्कलेव में भी हिस्सा लेंगे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी के गुजरात दौरे के बीच खेडा जिले का ढुंडी गांव सुर्खियों में छाया हुआ है। इस गांव के कुछ किसानों ने 2016 में एक सहकारी मंडली का गठन किया था और कुछ सालों में सौर ऊर्जा का उत्पादन कर विकास की एक नई मिसाल पेश की है।

gurat solar pumup

कृषि और व्यक्तिगत आय से बिजली उत्पादन

गौरतलब है कि ढुंडी गांव में 10.8 किलोवॉट के तीन संयंत्र, 8 किलोवॉट के 3 और 5 किलोवॉट 3 को मिलाकर कुल 79.4 किलोवॉट के 9 संयंत्र कार्यरत हैं। बता दें कि इन सब संयंत्रों से रोजाना कुल 350 यूनिट सौर उर्जा का उत्पादन होता है। मंडली के किसान सौर उर्जा का सिचाई के लिए जरूरत के हिसाब से ही प्रयोग करते हैं और शेष को बिजली ग्रीड के अनुसार MGVCAL को 4.63 की दर से बेचते हैं। इसके साथ ही मंजली ने इस संस्था के साथ 25 वर्षों के लिए परचेज पावर एग्रीमेंट (PPA) किया है।

कुछ साल पहले सिंचाई के लिए करते थे डीजल पंप का उपयोग

मंडली के प्रवीण परामर ने बताया कि पहले किसान सिंचाई के लिए डीजल पंप सेट का उपयोग करते थे। लेकिन इससे प्रत्येक किसान को रोजाना ५०० से ७०० रुपए का खर्चा आता था। इसके साथ ही डीजल लाने के लिए उनका वक्त और पैसा दोनों ही बर्बाद होता था। इसके बाद परामर ने बताया कि डीजल इंजन से पर्यावरण को नुकसान होता था, लेकिन सोलर पंप से सिंचाई होने के कारण ग्रीन व स्वच्छ ऊर्जा मिलने के साथ-साथ प्रदूषण भी रुका है।

किसानों की बढ़ी आमदनी

सौर ऊर्जा से चलने वाले कुएं की पायलट परियोजना की लागत लगभग 90 लाख रुपये थी, जिसमें से 95 प्रतिशत IWME और बाकी किसानों द्वारा वहन किया गया था। खर्च के सामने गांव के किसानों को बिजली बिक्री से 30 लाख रुपये की आमदनी हुई!’ ढुंडी गांव से प्रेरित हो कर वडोदरा से तीस किलोमीटर दूर 6 हज़ार की बस्ती वाले मुजकुवा गांव ने सौर ऊर्जा से चलने वाले 11 कुओं का निर्माण किया गया, जिनमें से गांव के अधिकांश खेतों में अब पानी मिलता है।

सोलर पंप सेट के लाभ

सोलर पंप सेट के लाभ पर बात करते हुए परमार ने बताया कि सोलर पंप सेट की वजह से किसान निर्धारित समय में खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अपितु खेतों में पानी देने के लिए अब रात्रि जागरण नहीं करना पड़ता है। अब सोलर पंप के उपयोग के कारण किसानों को हर महीने डीजल खर्च करीब २० हजार रुपए की बचत होती है।

अपनी मंडली पर नेताओं और प्रतिनिधियों के आगमन पर बात करते हुए प्रवीणभाई ने बताया कि अब तक ढुंडी मंडली का देश-विदेश के प्रतिनिधि, राज्य के उर्जा मंत्री सौरभ पटेल और केंद्रीय उर्जा सचिव दौरा कर चुके हैं।