नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से राजनीति में अगर कोई मसला सर्वाधिक सुर्खी बटोर रहा है, तो वो अतिक्रमण…जी हां….अतिक्रमण को लेकर पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारों में जंग छिड़ गई है। नेतागण इस मसले की आड़ में एक-दूसरे पर जुबानी गोले दाग रहे हैं। कोई किसी को निशाने पर ले रहा है, तो कोई किसी को आड़े हाथों लेने में मशगूल है। कोई अतिक्रमण हटाने की कवायद का घनघोर विरोध कर रहा है, तो इसके पक्ष में तकरीरों की दरिया बहा रहा है। बहरहाल, इन मसलों पर हम किसी और दिन किसी और रिपोर्ट में तफसील से गुफ्तगू करेंगे। फिलहाल तो हम आपको आज से सात साल पुराने अतिक्रमण से जुड़े मसले के बारे में तफसील से बताने जा रहे हैं। आज से सात साल पहले यानी की 2015 में अतिक्रमण हटाओ जत्था पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम-47 स्थित झीमर बस्ती की झुग्गियों को हटाने पहुंचे थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। खैर, मसला अगर विरोध की परिधि तक ही सीमित रहता, तो हम आपके समक्ष यह खबर परोस नहीं रहे होते। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों। तो आपको बताते चलें कि विरोध की आड़ में चंद शरारती तत्वों के लोगों ने उपरोक्त मसले को हिंसा के लबादे में लपेट कर रख दिया था। वहां मौजूद शरारती तत्वों के लोगों ने पहले तो पुलिस पर पथराव किया, लेकिन जब इससे भी उनका मन न भरा तो उन्होंने अपने नापाक इरादों के दम पर हालातों को बेकाबू कर दिया।
जी हां…आपको बता दें कि अतिक्रमण हटाए जत्थे पर शरारती तत्वों के लोगों ने पेट्रोल बम सहित पत्थरों से हमला किया था। जिसकी जद में आकर कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। लेकिन आप यह जानने की कोशिश नहीं करेंगे कि आखिर कौन था, वह शख्स जिसके नापाक मंशों की अगुवाई के दम पर इस पूरी वारदात को अंजाम दिया गया था। तो आपको बताते चलें कि यह कोई और नहीं, बल्कि पार्षद निशा सिंह थी। उन पर ही हिंसा भड़काने का आरोप लगा था। इसके बाद यह पूरा मामला मामला कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा, जहां सुनवाई के उपरांत 17 लोगों को सजा सुनाई गई थी, जिसमें 10 महिलाएं शामिल थीं। इन 10 महिलाओं में पार्षद निशा सिंह के अलावा सभी ग्रामीण तबके की महिलाएं थीं। अब इसी निशा को लेकर लेकर खबर सामने आई है कि उन्हें कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। तो चलिए फिर इस बहाने निशा सिंह के बारे में सब कुछ विस्तार से जान लेते हैं।
एक नजर निशा सिंह पर…!!
आपको बताते चलें कि निशा सिंह ने पहले तो निर्दलीय ही पार्षद का चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने विधिवत रूप से अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने के लिए साल 2016 में आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। राजनीति में पर्दापर्ण करने से पूर्व निशा कई ब़ड़ी कंपनियों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। उन्होंने मुंबई से इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए करने के लिए लंदन का रुख किया था। एमबीए करने के बाद उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में अपनी सेवाएं दी थीं।