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Madarasas To Be Closed: असम में अब सरकारी मदरसे होंगे बंद, हिमंत सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट की मुहर

सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों को बंद कर सामान्य स्कूल खोले जाने के खिलाफ 2021 में 13 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका पर 27 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी। अब फैसला सुनाया गया है।

गुवाहाटी। असम में सरकार की ओर से वित्त पोषित सभी 683 मदरसे अब बंद कर उनकी जगह सामान्य स्कूल खुल जाएंगे। असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार के इस फैसले पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है। चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस सौमित्र सैकिया की बेंच ने कहा कि विधानसभा और राज्य सरकार की ओर से नियमों में किए गए बदलाव सिर्फ सरकारी एड वाले मदरसों के लिए हैं और इस नियम को निजी या सामुदायिक मदरसों पर लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे में सरकारी फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पोषणीय नहीं है।

सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों को बंद कर सामान्य स्कूल खोले जाने के खिलाफ 2021 में 13 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका पर 27 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी। अब फैसला सुनाया गया है। हिमंत सरकार ने कोर्ट को बताया था कि सरकार 683 मदरसों को मदद देती है। इन्हें सामान्य स्कूलों में बदला जाएगा। साथ ही 97 संस्कृत टोल को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय की देखरेख में दिया जाएगा। इन संस्कृत टोल यानी विद्यालयों को शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के रूप में बदला जाएगा।

बदलाव के बाद संस्कृत टोल और मदरसों में धर्म से हटकर भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीयता के अलावा आधुनिक विषयों की शिक्षा दी जाएगी। असम सरकार ने पिछले साल अप्रैल में सरकारी मदरसों को बंद कर स्कूलों मे  बदलने का बिल विधानसभा से पास कराया था। नए कानून के तहत प्रदेश के सभी मदरसे उच्च प्राथमिक, उच्च और माध्यमिक स्कूलों में बदले जाएंगे। असम सरकार पहले ही कह चुकी है कि मदरसों और संस्कृत टोल के शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।