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Gyanvapi Mosque case: मस्जिद नहीं मंदिर है ज्ञानवापी, जानिए सुप्रीम कोर्ट के वकील ने किन कानून के तहत किया ये दावा

यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आजकल माहौल गर्माया हुआ है। मुस्लिम पक्ष इसे अपनी मस्जिद बता रहा है। वहीं, कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति, दीवारों पर घंटे और अन्य हिंदू मंदिर के चिन्ह पाए जाने के बाद लोग इसे हिंदुओं को देने की मांग कर रहे हैं।

नई दिल्ली। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आजकल माहौल गर्माया हुआ है। मुस्लिम पक्ष इसे अपनी मस्जिद बता रहा है। वहीं, कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति, दीवारों पर घंटे और अन्य हिंदू मंदिर के चिन्ह पाए जाने के बाद लोग इसे हिंदुओं को देने की मांग कर रहे हैं। पांच महिलाओं ने मस्जिद परिसर में स्थित मां शृंगार गौरी की पूजा रोज करने का आवेदन कोर्ट में दिया है। कोर्ट का फैसला क्या आएगा, ये बाद की बात है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील और बीजेपी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने कानून का हवाला देकर ये दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, बल्कि मंदिर है।

अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक मस्जिद वहां बन सकती है, जहां जमीन खरीदी गई हो, दान में मिली हो, वर्जिन हो यानी वहां कुछ भी न हो और जमीन समतल हो। उनका कहना है कि मुस्लिम कानून के तहत इसी जगह पर पहली ईंट मस्जिद के नाम की रखी जा सकती है। अगर ये तीनों क्लॉज में से एक भी पूरा नहीं होता, तो वहां मस्जिद नहीं बन सकती। उपाध्याय ने एक टीवी चैनल पर डिबेट में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में इनमें से एक भी शर्त पूरी नहीं होती। इसे प्राचीन मंदिर को आधा तोड़कर उसके भग्नावशेषों पर खड़ा किया गया है।

gyanvapi mosque 1

ज्ञानवापी को मंदिर बताने के पक्ष में उन्होंने हिंदू कानून का हवाला दिया है। अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि मंदिर उस वक्त तक कहलाता है, जब तक कि वहां स्थापित और प्राण प्रतिष्ठा वाली मूर्ति का विसर्जन नहीं होगा, तब तक वो मंदिर ही रहेगा। भले ही मूर्ति को वहां से हटा ही क्यों न दिया जाए। उन्होंने कानून का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञानवापी में भले ही मंदिर का ढांचा तोड़ा गया, लेकिन मूर्ति का कभी विसर्जन नहीं हुआ। ऐसे में ये मंदिर ही है।