newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Fact: आबादी में अच्छी खासी संख्या, लेकिन इस राज्य में 5 दशक से कोई हिंदू नहीं बना CM

पंजाब के पहले सीएम गोपीचंद भार्गव थे। पार्टी में फूट की वजह से उनकी सत्ता डोल गई। नतीजे में पंजाब में 1951 से 1952 तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा।पंजाब में रामकिशन और भीमसेन सच्चर भी सीएम बने, लेकिन इनके बाद कोई और हिंदू इस पद पर नहीं पहुंच सका।

चंडीगढ़। 38 फीसदी से ज्यादा हिंदू, विधानसभा की 117 में से 45 सीटों पर जीत हार भी हिंदू ही तय करते हैं, लेकिन इस राज्य में बीते 5 दशक से कोई हिंदू सीएम नहीं बन सका है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब का ये आंकड़ा जरूर दिलचस्प है। हिंदुओं की बड़ी तादाद और काफी सीटों पर उनके वर्चस्व के बाद भी राज्य के सबसे बड़े पद पर 56 साल से इस समुदाय का कोई नेता नहीं पहुंच सका है। पंजाब बीते 50 साल से ज्यादा वक्त से हर बार सिख को ही बतौर सीएम देखता आ रहा है। पंजाब के पहले सीएम गोपीचंद भार्गव थे। पार्टी में फूट की वजह से उनकी सत्ता डोल गई। नतीजे में पंजाब में 1951 से 1952 तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा।

channi

पंजाब में रामकिशन और भीमसेन सच्चर भी सीएम बने, लेकिन इनके बाद कोई और हिंदू इस पद पर नहीं पहुंच सका। हर पार्टी की ओर से बतौर सीएम फेस सिख नेताओं को ही चुनाव में पेश किया जाता रहा। बता दें कि पंजाब में करीब 58 फीसदी आबादी सिख है और सिख नेता के अलावा किसी और को सीएम बनाने से लोगों की नाराजगी होने का ध्यान रखते हुए किसी गैर सिख को सीएम पद के लिए न तो पेश किया जाता है और न ही उसे बिठाया ही जाता है।

captain

पंजाब की आबादी में सबसे ज्यादा हिस्सा दलितों का है। यहां की आबादी में दलित करीब 32 फीसदी हैं। मौजूदा सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी दलित हैं, लेकिन यहां के समाज पर हमेशा 20 फीसदी जाट सिखों का दबदबा रहा है। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी जाट सिख हैं। भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाले ज्ञानी जैल सिंह यहां के आखिरी गैर जाट सिख सीएम रहे हैं। 1972 से 1977 तक सीएम पद पर जैल सिंह थे।