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Setting Up Task: मोदी सरकार के लिए अब एजेंडा तय करेंगे हिंदू संत, RSS के नेतृत्व में होगी चर्चा

यूपी के चित्रकूट में 15 दिसंबर से बड़े एजेंडे पर काम करने के लिए हिंदूवादी संगठन और संतों का सम्मेलन होने जा रहा है। इस सम्मेलन का नाम हिंदू एकता महाकुंभ है। महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के प्रमुख मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे। इस महाकुंभ में 5 लाख लोग शामिल होंगे।

लखनऊ। यूपी के चित्रकूट में 15 दिसंबर से बड़े एजेंडे पर काम करने के लिए हिंदूवादी संगठन और संतों का सम्मेलन होने जा रहा है। इस सम्मेलन का नाम हिंदू एकता महाकुंभ है। महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के प्रमुख मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे। इस महाकुंभ में 5 लाख लोग शामिल होंगे। यहां होने वाले सम्मेलन में मोदी सरकार के लिए 12 मुद्दों वाले एजेंडे पर चर्चा होगी और फिर उसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इन मुद्दों में कॉमन सिविल कोड भी शामिल होगा। सम्मेलन में सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा देशभर के 100 प्रमुख संत भी हिस्सा लेंगे। इनमें स्वामी रामदेव, श्रीश्री रविशंकर, गुरु कार्ष्णि महाराज, दक्षिण भारत से रामानुजाचार्य, चिन्नाजीयर स्वामी और पेजावर मठ के प्रमुख श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ भी हैं।

इस महाकुंभ में जिन 12 मुद्दों पर चर्चा होगी, उन्हें जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने तय किया है। मुद्दों में लव जिहाद, समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्मांतरण, हिन्दूओं के मठ मंदिरों पर शासकीय नियंत्रण के दुष्परिणाम एवं समाधान आदि शामिल हैं। स्वामी रामभद्राचार्य ने बीते दिनों कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग मोदी सरकार से की थी। इसकी तमाम वजह रामभद्राचार्य ने गिनाई थीं। अब इस और अन्य मुद्दों पर जोर डालने के लिए संघ प्रमुख की अध्यक्षता में हिंदू एकता महाकुंभ कराने की तैयारी हो रही है। ताकि मोदी सरकार जल्द से जल्द इन समस्याओं का हल निकाले।

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स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा था कि लगातार हिंदुओं की संख्या कम होती जा रही है। उन्होंने कहा था कि इसके मूल में लव जिहाद है। साथ ही दूसरे समुदाय के घरों में 20 से 25 लोग होते हैं। रामभद्राचार्य ने ये भी कहा था कि अगर जल्दी ही कॉमन सिविल कोड न लागू किया गया, तो भारत से हिंदुओं का नाम-ओ-निशान मिटने की आशंका है। बता दें कि पहले भी कई हिंदूवादी नेता कह चुके हैं कि भारत में हिंदुओं की हालत दयनीय होती जा रही है और एक समय उनके अल्पसंख्यक होने का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है।