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Amarnath Holy Cave: इतिहास में बताया जाता है कि मुस्लिम गड़रिए ने की थी अमरनाथ गुफा की खोज, लेकिन ये नहीं है हकीकत!

हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ ने अपने कार्यकम DNA में तमाम पुरानी किताबों का हवाला देते हुए इस दावे को झूठा बताया है। चैनल में दिखाए गए कार्यक्रम में तमाम किताबों का हवाला देकर बताया गया कि अमरनाथ गुफा काफी प्राचीन है और मुस्लिम गड़रिए की ओर से इसे खोजे जाने के दावे झूठ का पुलिंदा हैं।

नई दिल्ली। पिछले दिनों भारी बारिश से आए सैलाब में श्रद्धालुओं की मौत और उनके लापता होने की खबर के कारण जम्मू-कश्मीर स्थित अमरनाथ की पवित्र गुफा सुर्खियों में रही। अब एक बार अलग वजह से ये गुफा फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है इतिहास। इतिहास में बताया जाता है कि एक मुसलमान गड़रिए ने अमरनाथ गुफा की खोज पहली बार की थी, लेकिन हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ ने अपने कार्यकम DNA में तमाम पुरानी किताबों का हवाला देते हुए इस दावे को झूठा बताया है। चैनल में दिखाए गए कार्यक्रम में तमाम किताबों का हवाला देकर बताया गया कि अमरनाथ गुफा काफी प्राचीन है और मुस्लिम गड़रिए की ओर से इसे खोजे जाने के दावे झूठ का पुलिंदा हैं। तो अब आपको एक-एक प्वॉइंट में बताते हैं कि जी न्यूज ने अपने प्रोग्राम में अमरनाथ गुफा के इतिहास पर क्या जानकारी दी है।

-इतिहास में बताया जाता है कि अमरनाथ गुफा की सबसे पहले खोज साल 1850 में कश्मीरी मुस्लिम गड़रिए बूटा मलिक ने की थी। जिसके बाद ही अमरनाथ यात्रा शुरू होने का दावा किया जाता है।

-चैनल के मुताबिक ये गलत है क्योंकि 12वीं सदी में कश्मीर के कवि कल्हण की किताब ‘राजतरंगिणी’, 16वीं सदी में मुगल बादशाह अकबर के शासन पर लिखी किताब ‘आईन-ए-अकबरी’, फ्रांसीसी डॉक्टर और औरंगजेब के चिकित्सक रहे फ्रांस्वां बर्नियर और 1842 में ब्रिटिश यात्री जीटी वेग्ने की किताब में अमरनाथ गुफा के बारे में बताया गया है।

-चैनल ने अपने प्रोग्राम में बताया कि 5वीं सदी में लिखे गए ‘लिंग पुराण’ के 12वें अध्याय के 487 नंबर पेज पर 151वें श्लोक में भी अमरता देने वाले अमरेश्वर लिंग के बारे में कहा गया है। अमरनाथ को यहां अमरेश्वर बताया गया है।

-कश्मीरी कवि कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ के पेज नंबर 280 के 267वें श्लोक में भी अमरनाथ यात्रा का जिक्र है।

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-चैनल ने बादशाह अकबर के शासन पर लिखी 16वीं सदी की ऐतिहासिक किताब ‘आईन-ए-अकबरी’ के दूसरे खंड के पेज नंबर 360 का हवाला दिया है। उस पेज पर लिखा है कि एक गुफा में बर्फ की आकृति है। इसे अमरनाथ कहा जाता है। पूर्णिमा के वक्त पानी की बूंदों से बर्फ की आकृति बनती है। जिसे श्रद्धालु महादेव मानते हैं। अमावस्या के बाद ये आकृति धीरे-धीरे पिघल जाती है।

-बादशाह औरंगजेब के फ्रेंच डॉक्टर फ्रांस्वां बर्नियर की किताब ‘ट्रैवेल्स इन द मुगल एंपायर’ का हवाला भी जी न्यूज ने दिया है। इस किताब के पेज 418 में हिमलिंग और वहां श्रद्धालुओं की तरफ से पूजा-पाठ का उल्लेख है।

-अंग्रेज यात्री और इतिहासकार जीटी वेग्ने ने साल 1835 से 1838 तक कश्मीर की यात्रा की थी। उन्होंने इस पर ‘ट्रैवेल्स इन कश्मीर, लद्दाख, इस्कारदो, द कंट्रीज एडजॉयनिंग द माउंटेन कोर्स ऑफ द इंडस, द हिमालया, नॉर्थ ऑफ द पंजाब’ शीर्षक से किताब लिखी। इस किताब के दो खंड हैं और चैनल के मुताबिक पहले खंड के पेज नंबर 148 और दूसरे खंड के पेज 7 और 8 में अमरनाथ यात्रा का जिक्र किया गया है।

-चैनल को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर डॉ. ओमजी उपाध्याय ने बताया कि साल 1842 तक के सभी ग्रंथों, रचनाओं में अमरनाथ का जिक्र है, लेकिन साल 1900 के बाद अचानक बताया जाने लगा कि मुस्लिम बूटा मलिक ने इस गुफा को सबसे पहले खोजा था।

-जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी JNU के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. हीरामन तिवारी ने चैनल को बताया कि पौराणिक मान्यता और प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक जब भगवान शिवर अमरत्व का ज्ञान देते हैं, तो देवी पार्वती को अमरनाथ की गुफा में ही जाकर इस बारे में बताते हैं। कुल मिलाकर बूटा मलिक की खोज सवालों के घेरे में है और अगर प्राचीन ग्रंथों और किताबों में लिखी बातें सही हैं, तो ये सवाल खड़ा होता ही है कि आखिर हिन्दुओं को ये मानने के लिए मजबूर क्यों किया गया कि एक मुसलमान गड़रिए ने अमरनाथ गुफा की खोज की थी?

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