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Coronavirus: सोनू सूद और नेता जीशान सिद्दीकी को कैसे मिल रही थी रेमडेसिविर, राज्य सरकार से बॉम्बे HC ने कहा जांच करें

Coronavirus: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस पूरे मामले का पता लगाए कि Covid-19 की दवा खरीद और सप्लाई में स्थानीय कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और अभिनेता सोनू सूद की भूमिका क्या थी, जब आम लोगों को यह दवा मुहैया नहीं हो पा रही थी तो सोनू सूद और जीशान के पास ये दवाएं कैसे पहुंच रही थी जो मदद के नाम पर लोगों को दी जा रही थी।

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने जो कहर मचाया उसमें सबसे ज्यादा मारामारी दो ही चीजों की रही जिसकी वजह से लोगों की जान चली गई। पहली ऑक्सीजन की कमी और दूसरी रेमडेसिविर इंजेक्शन जिसकी इस दौरान इतनी मांग बढ़ी और उसकी इतनी कालाबाजारी हुई कि लोगों को अपना जान बचाना मुश्किल हो गया। इन दोनों चीजों की वजह से बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन इस सब के बीच पूरे देश में कुछ राजनेता और अभिनेता ऐसे थे जो लोगों की मदद के लिए तो आगे आए उन्होंने लोगों की खूब मदद भी की लेकिन एक सवाल जरूर छोड़ गए कि जब इन चीजों की कमी से पूरा देश जूझ रहा था बाजार में इन चीजों की उपलब्धता नहीं थी। सरकार को इस पूरे मामले पर सारी व्यवस्था अपने हाथ में लेना पड़ा था तो फिर इन नेताओं और अभिनेताओं के पास ये दवाईयां कैसे मौजूद थी।

bombay highcourt

इस पूरे मामले पर अब महाराष्ट्र सरकार से बॉम्बे हाईकोर्ट ने पता लगाने को कहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस पूरे मामले का पता लगाए कि Covid-19 की दवा खरीद और सप्लाई में स्थानीय कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और अभिनेता सोनू सूद की भूमिका क्या थी, जब आम लोगों को यह दवा मुहैया नहीं हो पा रही थी तो सोनू सूद और जीशान के पास ये दवाएं कैसे पहुंच रही थी जो मदद के नाम पर लोगों को दी जा रही थी।

Zeeshan Siddiqui INC & Sonu Sood Maharashtra

बॉम्बे HC ने कहा कि जीशान सिद्दीकी और सोनू सूद ने इस कोरोना काल में अपने आप को मसीहा के रूप में पेश किया। वो भी ये वैरिफाई किए बिना कि ये सभी दवा नकली थी या नहीं और क्या इनकी सप्लाई कानूनी थी।

इससे पहले मझगांव मेट्रोपॉलिटन अदालत में एक चैरिटेबल ट्रस्ट, BDR फाउंडेशन और उसके ट्रस्टियों के खिलाफ जीशान सिद्दीकी को एंटी-कोविड दवा Remdesivir सप्लाई करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया गया। जबकि ट्रस्ट के पास इन दवाओं को सप्लाई करने का लाइसेंस भी था। इसके बाद से ही इस मामले ने तुल पकड़ लिया था और यह सवाल हर तरीके से वाजिब था जो अदालत ने पूछा।

वहीं अदालत को यह बताया गया कि सिद्दीकी केवल उन नागरिकों को दवा दे रहे थे, जिन्होंने उनसे संपर्क किया था, इसलिए उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके साथ ही आगे बताया गया कि सोनू सूद को गोरेगांव के प्राइवेट लाइफलाइन केयर अस्पताल के अंदर स्थित कई फार्मेसियों से दवाएं मिली थीं।

ऐसे में बॉम्बे HC ने राज्य और केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि कैसे मशहूर हस्तियों और राजनेताओं ने एंटी-कोरोनावायरस दवाओं को जनता में खरीदने और वितरित करने में कामयाबी हासिल की, क्योंकि इनकी सप्लाई मुश्किल थी और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को आवंटित की जानी थी इसकी जांच की जानी चाहिए। हाई कोर्ट इस याचिका पर अब 25 जून को सुनवाई करेगा।