नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गाधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बिहार के पूर्णिया में नीतीश कुमार के पाला बदलने पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी। राहुल ने दो टूक कह दिया कि, ‘हमें नीतीश कुमार की जरूरत नहीं है। बिहार में जातिगत जनगणना के लिए हमने ही उन पर दबाव बनाया था। वो तो जातिगत जनगणना के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन हमने ही उन पर दबावा बनाया था कि वो जातिगत जनगणना कराए, ताकि प्रदेश के सभी लोगों की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकें। वहीं, राहुल ने आगे अपने बयान में कहा कि, ‘देश में सर्वाधिक आबादी ओबीसी समुदाय की है। लेकिन आज तक इस समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। अगर मैं आपसे यह सवाल करूंगा कि देश में ओबीसी समुदाय की कितनी आबादी है?, तो आप नहीं बता पाएंगे, क्योंकि आपको पता ही नहीं है। मैं तो कहता हूं कि इसकी बाकायदा गिनती होनी चाहिए कि देश में ओबीसी समुदाय की कितनी संख्या है।
Rahul Gandhi cracks joke on Nitish Kumar. Give your comments. pic.twitter.com/kvHYmDXPlm
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) January 30, 2024
वहीं, राहुल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने में पूरी तरह से विफल हुए हैं, लिहाजा मैं आप लोगों से कहना चाहूंगा कि आप हमें एक मौका दें, मैं आप लोगों का विश्वास जितने की पूरी कोशिश करूंगा। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि कृपया आप लोग ध्यान दें। हम झूठे वादे नहीं करते हैं। अगर आपको यकीन ना हो तो आप हमारा पुराना रिकॉर्ड देख लीजिए। हम किसान हितैषी भूमि अधिग्रहण बिल लेकर आए। हमने किसानों का 72 हजार करोड़ रूपए का कर्जा माफ किया। वहीं, जिन राज्यों में हमारी सरकार है, वहां हमने कोशिश की कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दाम मिल सकें।
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आपको बता दें कि बीते दिनों नीतीश कुमार ने पाला बदलकर एनडीए का दामन थाम लिया था। जिसके बाद उन्होंने पटना स्थित राजभवन में नौवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यही नहीं , उनके साथ आठ अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाने पर मुहर लगाया गया। उधर, महागठबंधन से अलग होने पर नीतीश ने मीडिया को बताया कि सरकार चलाने में दिक्कत हो रही थी, जिसे ध्यान में रखते हुए हमने यह कदम उठाया। वहीं, नीतीश कुमार के पाला बदलने पर तेजस्वी यादव ने तिलमिलाते हुए मीडिया से कहा कि आज तक बिहार में इतना काम नहीं हुआ, जितना पिछले 17 महीनों में हमारे रहते हुए हुआ। तेजस्वी ने कहा कि हमने प्रदेश में एक थके हुए मुख्यमंत्री से बहुत मेहनत करवाई है। उधर, बीते दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश से जब मीडिया ने नीतीश के पाला बदलने से इंडिया गठबंधन पर पड़ने वाले असर को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि नीतीश के एनडीए में जाने से इंडिया गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन इस बात को सिरे से खारिज करना उचित नहीं रहेगा कि नीतीश कुमार ही वो शख्स हैं ,जिन्होंने इंडिया गठबंधन की नींव रखी थी।
Rahul Gandhi breaks his silence on Nitish’s exit from ‘INDI Alliance’
Rahul Gandhi said Nitish Kumar exited INDIA bloc due to the Bihar caste survey.@iindrojit with more details#ITVideo #RahulGandhi #NitishKumar (@snehamordani) pic.twitter.com/x17I7Cz46v
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उन्होंने सभी नेताओं को एकजुट कर इंडिया गठबंधन को नया आकार दिया था, लेकिन जब बीते दिनों बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया था, तो नीतीश कुमार नाराज हो गए थे। बाद में उनकी इसी नाराजगी को दूर करने के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से उन्हें संयोजक बनने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था, जिसके बाद कहा जाने लगा कि नीतीश अब आगामी दिनों में कोई धमाकेदार कदम उठा सकते हैं। ध्यान दें, बीते दिनों जब केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया था, लेकिन नीतीश कुनार ने बिना कोई मौका गंवाए केंद्र के इस पहल की तारीफ की थी।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि हम तो पिछले कई सालों से दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन आज तक किसी ने भी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया, मगर अब जिस तरह से मौजूदा सरकार ने कर्पूरी जी को यह सम्मान दिए जाने का ऐलान किया है, उसकी हम तारीफ करते हैं। यही नहीं, इसके बाद नीतीश ने परिवारवाद की राजनीति करने वाले लोगों को भी आड़े हाथों लिया था। हालांकि, अपने संबोधन के दौरान उन्होंने किसी विशेष पार्टी या नेता का नाम नहीं लिया था, लेकिन सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई थी कि ऐसा कहकर उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को आड़े हाथों लिया है, तो इस तरह से अपनी ओर ये तमाम संकेत देने के बाद नीतीश ने एनडीए का दामन थाम लिया है, लेकिन इस बीच यह सवाल भी बरकरार है कि नीतीश इस बार एनडीए के साथ वफादार बने रहेंगे ना?