नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ADR की रिपोर्ट में एक ऐसा दावा किया गया है जिसकी वजह से हिमाचल प्रदेश चुनाव में विधानसभा उम्मीदवारों की नीदें उड़ गई हैं। आपको बता दें कि इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में चुनाव लड़ने वाले सभी 412 उम्मीदवारों के शपथ-पत्रों का विश्लेषण पत्र जारी किया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के इन उम्मीदवारों में से 201 राष्ट्रीय दलों से, 67 राज्य दलों से, 45 गैर मान्यता प्राप्त दलों से और 99 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 412 में से 94 (23 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में विश्लेषित किए गए 338 में से 61 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये थे।
12 प्रतिशत उम्मीदवारों पर दर्ज आपराधिक मामले
आपको बता दें कि विधायकी का चुनाव लड़ने जा रहे 50 (12 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 31 (9 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे। पांच उम्मीदवारों ने महिलाओं पर अत्याचार, तीन उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) और दो उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) से संबंधित मामले घोषित किए हैं। हिमाचल प्रदेश के कई पूर्व विधायकों पर हत्या और वसूली जैसे अपराधिक मामले दर्ज हैं।
412 में से 226 उम्मीदवार निकले करोड़पति
आपको बता दें कि एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे 412 में से 226 (55 प्रतिशत) करोड़पति उम्मीदवार हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 338 में से 158 (47 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति थे। कांग्रेस के 68 में से 61 (90 प्रतिशत), भाजपा के 68 में से 56 (82 प्रतिशत), आप के 67 में से 35 (52 प्रतिशत), सीपीआई (एम) के 11 मे से 4 (36 प्रतिशत) और बीएसपी के 53 में से 13 (25 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति हैं। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी की ओर से हिमाचल में बीजेपी पर बाहुबल और धनबल का प्रयोग करने के भी आरोप लगाए गए थे।
गौरतलब है कि इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। राजनीतिक दलों ने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 23 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है। गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग आय से अधिक संपत्ति के मामले और अपराधिक प्रवृत्ति के उम्मीदवारों को लेकर बेहद सख्ती बरतता है। लेकिन इसके बावजूद भी इतनी बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं।