नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट को लेकर जारी विवाद के बीच इस पूरे मामले की सच्चाई बयां की है। आईसीएमआर के मुताबिक उसने इन टेस्टिंग किट के लिए एक भी पैसे का भुगतान नही किया है। इसलिए सरकार का इसमें कोई भी नुकसान नही हुआ है। आईसीएमआर ने साथ ही राज्यों को जारी एडवाइजरी में बदलाव करते हुए दो चाइनीज कंपनियों के रैपिड टेस्ट किट का इस्तेमाल रोकने को कहा है। ये दो कंपनियां हैं, गुंझाऊ वूंडफो बायोटेक और झुआई लिवजन डायग्नोस्टिक्स।
आईसीएमआर ने यह निर्देश इन किट से आए नतीजों में भिन्नता पाए जाने के बाद दिया है। बयान में कहा गया है कि कई राज्यों ने ट्रायल के दौरान नतीजों के प्रदर्शन पर चिंता जताई है। शिकायतों के बाद, आईसीएमआर ने कहा कि इसने दो कंपनियों के किट के परीक्षण की स्थितियों का मूल्यांकन किया। एक बयान में कहा गया, “निगरानी के लिए किए गए शुरुआती अच्छे प्रदर्शनों के वादे बाद भी संवेदनशीलता के मामले में नतीजों में खासी भिन्नता देखी गई है।”
Indian Council of Medical Research (ICMR) issues revised advisory to state governments regarding Rapid Antibody Blood tests. ICMR has written to them to stop using Guangzhou Wondfo Biotech and Zhuhai Livzon Diagnostics kits. #COVID19 pic.twitter.com/brLQILbk54
— ANI (@ANI) April 27, 2020
“इसे देखते हुए, राज्यों को सलाह दी जाती है कि वे उपर्युक्त कंपनियों से खरीदे गए इन किटों का उपयोग बंद करें और उन्हें वापस आपूर्तिकर्ताओं को भेजें।”
आईसीएमआर ने राज्यों को रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण किट प्रदान किए थे और निर्देश दिया था कि उनका उपयोग केवल निगरानी के उद्देश्य के लिए किया जाना है। आईसीएमआर ने वकालत की कि आरटी-पीसीआर गले या नाक का स्वैब परीक्षण कोविड-19 के परीक्षण के लिए उपयोगी है। यह परीक्षण वायरस का पता लगाता है और यह व्यक्ति को पहचानने और उसे अलग करने के लिए बेहतरीन रणनीति है।
इस महीने की शुरुआत में आईसीएमआर ने राज्यों को दो दिनों के लिए कोविड-19 डायग्नोसिस के लिए रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण किट का उपयोग तब तक के लिए बंद करने को कहा था जब तक कि उन्हें फिर से मान्य नहीं किया जाता है।