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हाथ पर पहनते ही IIT मद्रास का बनाया यह बैंड देगा आपको कोरोना की हर अपडेट

भारत में बीते चार महीनों से लागू किए गए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल बावजूद हर दिन कोविड-19 संक्रमितों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में आईआईटी मद्रास ने कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए हाथ में पहनने वाला एक बैंड तैयार किया है।

नई दिल्ली। भारत में बीते चार महीनों से लागू किए गए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल बावजूद हर दिन कोविड-19 संक्रमितों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है। देश में शनिवार को कुल 48,916 नए कोरोनोवायरस मामले सामने आए हैं, जबकि इससे एक दिन पहले यानी शुक्रवार को 49,310 संक्रमण के मामले सामने आए थे। ऐसे में आईआईटी मद्रास ने कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए हाथ में पहनने वाला एक बैंड तैयार किया है। ये बैंड एकदम शरुआती स्तर पर ही किसी इंसान को संक्रमण के बारे में बता सकता है।

corona band

अगले महीने तक बाजार में आ सकता है यह बैंड

यह बैंड बाजार में अगले महीने तक आ सकता है। आईआईआईटी मद्रास में स्टार्ट अप म्यूज वियरेबेल्स की शुरुआत पूर्व छात्रों के एक समूह ने एनआईटी वारंगल के पूर्व छात्रों के साथ मिल कर की है। इन ट्रैकर्स को 70 देशों में लॉन्च करने की योजना है। हाथ के ट्रैकर में शरीर के तापमान को मापने, हृदय गति तथा एसपीओ2 (ब्लड ऑक्सीजन सघनता) को मापने के लिए सेंसर लगे हैं, जो लगातार इन पर नजर रख कर संक्रमण के शुरुआती स्तर में ही पता लगाने में मदद कर सकता है।

ब्लूटूथ से चलेगा ट्रैकर

यह ट्रैकर ब्लूटूथ से चलेगा और इसे म्यूज हेल्थ ऐप के जरिए मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है। उपयोगकर्ता के शरीर से जुड़ी तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी फोन तथा दूरस्थ सर्वर में इकट्ठा हो जाएगी। उपयोगकर्ता यदि किसी निरुद्ध क्षेत्र में जाता है तो आरोग्य सेतु ऐप के जरिए उसे संदेश मिल जाएगा।

iit madras

2020 तक पूरी दुनिया में 10 लाख ट्रैकर बेचने की योजना

आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र केएलएनसाई प्रशांत ने बताया, हमारा इस वर्ष दो लाख उत्पाद की ब्रिकी का लक्ष्य है और 2020 तक पूरी दुनिया में 10 लाख ट्रैकर बेचने की योजना है। निवेशकों को हमारे नवोन्मेष पर भरोसा है और उन्हें लगता है कि हम उपभोक्ता तकनीक जगत में भारी बदलाव ला सकते हैं। हम 22 करोड़ रुपए इकट्टा करने में सफल हो गए हैं। इस ट्रैकर की कीमत 3500 रुपए है और यह 70 देशों में अगस्त तक आ जाएगा। एनआईटी वारंगल से स्नातक के. प्रत्यूषा ने कहा, हमारा मुख्य उद्देश्य ऐसे मरीजों की पहचान में मदद करना है, जिन्हें कोरोना हो सकता है ताकि उनका और प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सके।