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Punjab: चन्नी की सभा में अभ्यर्थियों ने की नारेबाजी, तो पुलिस ने की सख्त कार्रवाई, गरमाई सियासत  

Punjab: कह रहे थे कि आंदोलन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। अभिव्यक्ति के तहत हमें ये आजादी मिली है, तो अब सवाल खड़े होते हैं कि क्या यह आजादी महज किसान आंदोलन के दौरान ही प्रभावी और प्रासंगिक मानी जा सकती है? क्या इस आजादी को प्रभावी बनाने की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी ने ही ले रखी है?

नई दिल्ली।  देखिए..ज़रा गौर से..और बताइए कि क्या यही लोकतंत्र है? क्या यही है वो लोकतंत्र जिसे पाने के लिए न जाने हमारे कितने ही पुरखाओं ने अपने प्राणों की हंसते-हंसते आहुति दे दी। क्या यही है वो लोकतंत्र जिसकी दुहाई हमारे राजनेता विश्व बिरादरी में दिए फिरते हैं। क्या यही है वो लोकतंत्र जिसका ढिंढोरा हमारे सियासी सूरमा पीटा करते हैं। क्या यही वो लोकतंत्र के तहत मिलने वाली अभिव्यक्ति की आजादी की हुकूमत के समक्ष हम अपनी बात भी नहीं कह सकते हैं। किसान आंदोलन के दौरान तो इन्हीं तथाकथित सियासी सूरमाओं ने अभिव्यक्ति की आजादी का जमकर ढिंढोरा पीटा था।

Charanjit-Singh

कह रहे थे कि आंदोलन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। अभिव्यक्ति के तहत हमें ये आजादी मिली है, तो अब सवाल खड़े होते हैं कि क्या यह आजादी महज किसान आंदोलन के दौरान ही प्रभावी और प्रासंगिक मानी जा सकती है? क्या इस आजादी को प्रभावी बनाने की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी ने ही ले रखी है? क्या कांग्रेस के रहनुमाओं का अभिव्यक्ति की आजादी से कोई सरोकार नहीं है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो अभी पूछे जा रहे हैं, क्यों पूछे जा रहे हैं, किससे पूछे जा रहे हैं, किस संदर्भ में पूछे जा रहे हैं, यह सब कुछ हम आपको तफसील से बताएंगे, लेकिन उससे पहले आप देखिए ये वीडियो।

देखिए वीडियो

लाजिमी है कि इस वीडियो को देखने के बाद आपके जेहन में बेशुमार सवालों ने शोर मचाना शुरू कर दिया होगा कि आखिर यह सब क्या हो रहा। कहां हो रहा है। कहां हो रहा है। तो आपको बता दें कि लोकतंत्र के तहत प्राप्त होने वाली अभिव्यक्ति की आजादी की अप्रितम गाथा गाती ये वीडियो कहीं और की नहीं, बल्कि पंजाब की है। जी हां…वही पंजाब जहां कांग्रेस की सरकार है। वीडियो में देख ही लिया होगा कि आपने कैसे प्रदर्शनकारी महिलाएं पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं। एक या दो नहीं, बल्कि अनन्य महिलाएं सीएम के खिलाफ मोर्चा खोलती हुई नजर आ रही हैं। किसी बहती नदी की धारा सरीखी उनकी जुबां से सीएम चरणजीत सिंह चन्नी मुर्दाबाद के नारों के अल्फाज निकल रहे हैं।

उधर, शायद सीएम कार्यकाल की तरफ से मिले फरमान की तामिल करते पुलिसकर्मी इन प्रदर्शनकारी महिलाओं के विरोधी स्वर को दबाने की जद्दोजहद में मसरूफ नजर आ रही है। विरोधी स्वर को पुलिसकर्मियों के जरिए दबाने की कोशिश की जा रही है, क्यों?, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस सरकार खुद को सर्वेसर्वा समझने लगी है। पंजाब कांग्रेस सरकार को खुद स्वयंभू समझने  लगी है। उन्हें विरोध के स्वर सुनना पंसद नहीं है, इसलिए पुलिस का इस्तेमाल करते हुए इन महिलाओं के विरोधी स्वर को कुचलने का दुस्साहस किया जा रहा है, लेकिन इसे इन महिलाओं की दिलेरी नहीं, तो और क्या कहेंगे कि इन्होंने पुलिस के बर्बर रवैये की परवाह किए बगैर सीएम चरणजीत सिंह मुर्दाबाद के नारों का सिलसिला जारी रखा। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों महिलाओं के सीएम के विरोध में नारेबाजी करने के जुर्म में हिरासत में ले लिया है। आइए, आगे  आपको बताते हैं कि आखिर इन महिलाओं ने क्यों खोल रखा है सीएम चन्नी के खिलाफ मोर्चा।

Charanjit-Singh-Channi

ये महिलाएं पंजाब की शिक्षिका हैं। विधार्थियों के ज्ञानर्जन की दिशा में इनकी उल्लेखनीय भूमिका रहती है। पंजाब शिक्षित राज्य बनें, इस दिशा में इन महिला शिक्षिका दिन रात जुटी रहती है। लेकिन इन महिलाओं के समझ पिछले कुछ दिनों से सीने ताने हुए एक समस्या मुस्तैदी से खड़ी है। ये सभी महिला शिक्षिकाएं अस्थायी हैं। लिहाजा, कब नौकरी चली जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है, ऐसे में बड़ा संकट है, खुद की नौकरी को महफूज रखना, इसलिए यह सभी महिलाओं लामबंद होकर सीएम से मांग कर रही है कि इन्हें स्थायी किया जाए, लेकिन आगामी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने में जुटी चन्नी सराकर इन महिला शिक्षिका से कोई सरोकार नहीं है। अब इन महिलाओं के सब्र का बांध टूट रहा है, लेकिन कांग्रेस सरकार रैलियां करने में मसरूफ हैं। बीते दिनों सीएम केजरीवाल भी इन महिला शिक्षिका के आंदोलन में पहुंचकर इन्हें स्थायी करने की मांग की थी। अब देखना होगा कि आगे चलकर  आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में क्या कुछ असर पड़ता है।