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India China Meeting: भारत और चीन के बीच चल रही 12वें दौर की सैन्य वार्ता, क्यास मोल्डो में होगा मंथन!

India China Meeting: इस बैठक के ठीक दो हफ्ते पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को इस बारे में दो टूक संदेश दिया था कि पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति अगर लंबी खिंचती है तो इसका नकारात्‍मक असर द्विपक्षीय संबंधों पर देखा जाएगा

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत और चीन के बीच बारहवें दौर की बैठक जारी है। बीते साल अप्रैल की आखिर में जारी तनाव को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच आज सैन्‍य बातचीत चल रही है। कहा जा रहा है कि यह बातचीत LAC से चीन की ओर मोल्डो सीमा पर स्थित बिंदु को लेकर की जा रही है। सुबह 10:30 बजे से शुरू हुई इस बैठक में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में आगे बढ़ने पर जोर दिए जाने का बात कही जा रही है।

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बता दें कि दोनों देशों के बीच इससे पहले 9 अप्रैल को 11वें दौर की सैन्‍य वार्ता की गई थी। जोकि LAC से भारतीय सीमा की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी। पांच महीने पहले हुई 11वें दौर की वह बैठक करीब 13 घंटे तक चली थी। वहीं अब भारत और चीन के बीच 12वें दौर की सैन्‍य बातचीत से हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से सैनिकों को हटाने को लेकर सार्थक नतीजे निकलने की उम्‍मीद की जताई जा रही है। जिसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह में 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे।

विदेश मंत्री चीन को दो टूक

बता दें कि इस बैठक के ठीक दो हफ्ते पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को इस बारे में दो टूक संदेश दिया था कि पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति अगर लंबी खिंचती है तो इसका नकारात्‍मक असर द्विपक्षीय संबंधों पर देखा जाएगा। भारत और चीन के विदेश मंत्रियों ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 14 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान द्विपक्षीय मुलाकात भी की थी।

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच करीब एक घंटे तक चली इस बैठक में जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से सीधे शब्दों में कहा था कि LAC पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को स्वीकार नहीं होगा। पूर्वी लद्दाख में शांति और स्थिरता बहाल होने के बाद ही पूर्ण संबंध विकसित हो सकते हैं। गौरतलब है कि दोंनों देशों के बीच हुई 11वें दौर की बैठक के बाद सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई थी। चीन की ओर से इसे लेकर किसी भी तरह की कोई गतिविधि नहीं हुई थी।