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Watergate Of India: PM मोदी पर ये आरोप तो लगाते हैं राहुल गांधी, लेकिन दादी इंदिरा के राज में हुए कांड पर रहते हैं चुप

Watergate Of India: अंतुले ने 7 ट्रस्ट बनाए थे। इनमें से एक ‘इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान’ के तहत ठेकेदारों और बिल्डरों से रकम उगाहकर उन्हें सीमेंट का कोटा देने में फायदा पहुंचाया गया था।

नई दिल्ली। कांग्रेस के सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार आरोप लगाते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं, लेकिन हैरत ये होती है कि राहुल को 40 साल पहले कांग्रेस का वो कांड नहीं पता, जिसमें उनकी ही पार्टी के सीएम रहे अब्दुल रहमान अंतुले और यहां तक कि उनकी दादी और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का नाम भी आया था। या फिर राहुल गांधी अपनी दादी के दौर में हुए कांड पर जानबूझकर चुप रहते हैं! इस कांड को भारत का वाटरगेट कहा गया था। राजनीति को कांग्रेस के इस कांड ने इतना गरमा दिया कि मामला कोर्ट तक गया और अंतुले को महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। आज हम बताने जा रहे हैं कि कांग्रेस का ये वाटरगेट कांड क्या था और उसने राहुल की दादी इंदिरा को भी किस तरह अपने लपेटे में लिया था। अब जानिए पूरा मामला। जनता पार्टी की सरकार जब केंद्र में मुंह के बल गिर गई, तो फिर लोकसभा के चुनाव हुए। इन चुनावों में जनता ने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार के किए गए अत्याचारों को भुला दिया। नतीजे में इंदिरा फिर पीएम बन गईं। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की सरकार बनी। वहां इंदिरा के करीबी और कांग्रेस के दिग्गज नेता एआर अंतुले को सीएम का पद सौंपा गया। इन्हीं अंतुले साहब ने ऐसा कांड किया कि कांग्रेस ही नहीं, बल्कि तत्कालीन इंदिरा गांधी की भी कुर्सी हिलने लगी। आज हम आपको बताते हैं कि 40 साल पहले हुआ वो कौन सा कांड था, जिसने देश की राजनीति गरमा दी थी। एआर अंतुले पर आरोप लगा कि उन्होंने पीएम रहीं इंदिरा गांधी के नाम पर काफी पैसा इकट्ठा किया था और तमाम नियमों को किनारे रखकर कुछ उद्योगपतियों की लॉबी को फायदा पहुंचाया था। ये खबर इंडियन एक्सप्रेस अखबार में तत्कालीन संपादक अरुण शौरी ने छापी थी। सिलसिलेवार छपी रिपोर्टों से अंतुले के साथ ही कांग्रेस की केंद्र की सत्ता भी डगमगाने लगी।

indian express

शौरी की रिपोर्ट के मुताबिक अंतुले ने 7 ट्रस्ट बनाए थे। इनमें से एक ‘इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान’ के तहत ठेकेदारों और बिल्डरों से रकम उगाहकर उन्हें सीमेंट का कोटा देने में फायदा पहुंचाया गया था। उस वक्त सीमेंट पर सरकार का कंट्रोल हुआ करता था। अंतुले पर आरोप लगा कि सीमेंट की मांग-आपूर्ति के बीच के अंतर को उन्होंने भुनाया और इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान के लिए 5.2 करोड़ रुपया इकट्ठा किया। 7 ट्रस्टों में उस वक्त के हिसाब से बड़ी रकम यानी 30 करोड़ रुपए जमा हुआ। अंतुले कहते थे कि कोई भी करोड़पति उनके पास आता है, तो वह अपने ट्रस्टों के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि इनमें दिया गया दान टैक्स फ्री है। ऐसे में आरोप लगा कि सारा पैसा अंतुले का है, क्योंकि सभी 7 ट्रस्टों के सदस्य उनके ही परिवार के सदस्य या दोस्त थे।

Rahul And Indira Gandhi

इंडियन एक्सप्रेस में खबर छपने के बाद सियासत में हंगामा मच गया। 2 सितंबर 1981 को विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा से वॉकआउट भी किया। इस बीच, पता चला कि अखबार में मामले के खुलासे से 3 दिन पहले अंतुले ने दिल्ली आकर कांग्रेस के नेताओं से ट्रस्ट और जमा रकम पर चर्चा की थी। विवाद बढ़ने पर अंतुले ने इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान में से इंदिरा गांधी का नाम हटा दिया। खास बात ये कि ट्रस्ट से खुद का नाम जोड़ने के लिए इंदिरा ने बाकायदा अंतुले को चिट्ठी लिखकर खुशी जताई थी। अंतुले पर सीमेंट देने में गड़बड़ी के अलावा चीनी उद्योग से जुड़े कारोबारियों से धन उगाही का आरोप लगा, लेकिन कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद मामला बॉम्बे हाईकोर्ट गया। वहां जज बख्तावर लेंतिन ने अंतुले को दोषी पाया। इस फैसले ने अंतुले की कुर्सी हिला दी। जनवरी 1982 में उन्हें महाराष्ट्र के सीएम पद से हटना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि बाद में उन्हें बरी कर दिया, लेकिन अंतुले का राजनीतिक जीवन अखबार के एक खुलासे से हो चुका था।