
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना आज से देश के उत्तरी हिस्से में बड़ा युद्धाभ्यास कर रही है। भारतीय वायुसेना का ये युद्धाभ्यास 14 सितंबर तक होगा। युद्धाभ्यास के लिए वायुसेना ने चीन से लगे एलएसी और पाकिस्तान से लगे एलओसी और सीमा के पास का हिस्सा चुना है। वायुसेना के राफेल, मिराज और सुखोई विमानों के अलावा हेलीकॉप्टर, रडार वाले अवाक्स विमान और हवा में ईंधन भरने वाले विमानों को इस युद्धाभ्यास में शामिल किया गया है। भारतीय वायुसेना ने इससे पहले 2 बार पूर्वोत्तर राज्यों में जमकर युद्धाभ्यास किया था। इस बार के युद्धाभ्यास में पाकिस्तान और चीन की तरफ से एकसाथ हमला होने पर उससे निपटने की तैयारी देखी जा रही है।
पाकिस्तान की तरफ से हमेशा भारत के खिलाफ उकसाने वाली कार्रवाई जारी रहती है। वहीं, साल 2020 से चीन के साथ भी पूर्वी लद्दाख इलाके में तनाव काफी बढ़ा है। पूर्वी लद्दाख में चीन के मुकाबले एलएसी पर सेना के करीब 60000 जवान तैनात हैं। इसी तरह हिमाचल, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में एलएसी पर भी बड़ी तादाद में सेना ने जवानों और हथियारों की तैनाती की है। भारतीय वायुसेना के इस बड़े युद्धाभ्यास में थल सेना के साथ तालमेल बिठाने पर भी जोर है। इससे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रक्षा पंक्ति और मजबूत होगी।
भारतीय वायुसेना ने अपने इस युद्धाभ्यास को ‘त्रिशूल’ का नाम दिया है। अगले 14 सितंबर तक करीब 1400 किलोमीटर के दायरे में वायुसेना के युद्धक और अन्य विमान आसमान में गरजते नजर आएंगे। रविवार देर रात से ही युद्धाभ्यास की तैयारी वायुसेना ने शुरू कर दी थी। जिसे आज से अमली जामा पहनाया गया है। इस युद्धाभ्यास में आधुनिक हथियारों को साथ लेकर भारतीय वायुसेना के विमान उड़ रहे हैं और हर तरह की परिस्थिति में दुश्मन को नाको चने चबाने के लिए अपनी रणनीति को पुख्ता कर रहे हैं।