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Video: बुडापेस्ट में घबराए छात्रों से जब भारतीय पायलट ने कहा- घर जाने का वक्त आ गया है….

Russia-Ukraine crisis: अब तक युद्ध में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, मंगलवार सुबह गोलीबारी की चपेट में आने के कारण यूक्रेन में पढ़ रहा कर्नाटक का एक छात्र भी शिकार हो गया। और अभी भी हजारों की संख्या में छात्र वहां फंसे हुए है, जिन्हें निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रतिबद्ध है।

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले को एक हफ्ता हो चुका है। रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने की कोशिश में है। दोनों तरफ से हो रही लगातार गोलीबारी में लोगों की जान का खतरा बराबर बना हुआ है। अब तक युद्ध में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, मंगलवार सुबह गोलीबारी की चपेट में आने के कारण यूक्रेन में पढ़ रहा कर्नाटक का एक छात्र भी शिकार हो गया। और अभी भी हजारों की संख्या में छात्र वहां फंसे हुए है, जिन्हें निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रतिबद्ध है। वहां फंसे छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार ने रूस से सटे देशों में चार वरिष्ठ मंत्रियों को भी भेजा है, जो परेशानहाल छात्रों के लिए मदद के लिए गए हैं। इस बीच हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से एक पायलट का वीडियो सामने आ रहा है, जिसमें वह प्लेन में बैठे चिंतित छात्रों से संवाद कायम कर रहा है। उसकी इस अपील ने अब तक लाखों दिलों में जगह बना ली है, आइए पूरा मामला समझते हैं..

इट्स टाइम टू गो होम..इट्स टाइम टू गो टू आवर् मदरलैंड

गौरतलब है कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में विशेष प्लेन पहुंचा था, जो बुडापेस्ट से नई दिल्ली के लिए रवाना होना था। इस बीच, बुडापेस्ट से भारत रवाना होते समय प्लेन के पायलट ने भारतीय छात्रों का बड़े ही शानदार तरीके से स्वागत किया। पायलट ने फोन से घोषणा करते हुए कहा कि-‘इट्स टाइम टू गो होम..इट्स टाइम टू गो टू आवर् मदरलैंड, जय हिंद!’ यानी अब मातृभूमि लौटने का समय आ चुका है। अब घर लौटने का समय आ चुका है। आइए चलते हैं।

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‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत निकाला जा रहा है छात्रों को

बता दें कि भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाकों में फंसे छात्रों को वहां से निकालने का काम किया जा रहा है। युद्ध के शुरुआत से पहले वहां करीब 20000 की संख्या में छात्र फंसे हुए थें जो वहां रोजी-रोटी और पढ़ाई के सिलसिले में वहां गए थे। लेकिन युद्ध शुरू होने की वजह से वह वहां फंस गए। हालांकि अब तक मिली जानकारी के अनुसार 3000-4000 छात्रों को वहां से निकाला जा चुका है, और बाकियों को भी निकालने का काम जोरों-शोरों से चल रहा है।