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Congress And I.N.D.I.A.: 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद I.N.D.I.A गठबंधन में कांग्रेस की हालत पतली?, 6 दिसंबर को खरगे की बुलाई बैठक में चलेगा पता

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ गंवाने से कांग्रेस को निश्चित तौर पर जबरदस्त सदमा लगा होगा, लेकिन साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जिस विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन को बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरना है, उसमें भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने के पूरे आसार दिख रहे हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस ने ताजा विधानसभा चुनावों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारों को गंवा दिया। मध्यप्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस हरा नहीं सकी। कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में सरकार बनाने का मौका मिला है। इससे पार्टी को निश्चित तौर पर जबरदस्त सदमा लगा होगा, लेकिन साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जिस विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन को बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरना है, उसमें भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने के पूरे आसार दिख रहे हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को विपक्ष के गठबंधन की बैठक बुलाई है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी नेताओं ने हाल ही में हुए 5 राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में जोर लगा रखा था। शायद कांग्रेस के नेता ये मान रहे थे कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सरकार रिपीट होगी और मध्यप्रदेश से बीजेपी को वो हटा देगी। तेलंगाना में जीत हासिल करने पर तो कांग्रेस के नेता आश्वस्त थे ही, लेकिन कांग्रेस नेताओं को नतीजों ने झटका दे दिया।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं का मानना था कि कम से कम 4 राज्यों में जीत दर्ज करने से विपक्षी गठबंधन में सीटों के बंटवारे में पार्टी अपनी मांग दमदार तरीके से रख पाएगी। अब कांग्रेस की जिस तरह हार हुई है और उसने अपने शासन वाले राजस्थान और छत्तीसगढ़ को भी गंवा दिया, उससे विपक्षी गठबंधन में सीटों को लेकर उसका मोल-तोल शायद अब उतना मजबूत नहीं रह सकेगा। इसमें खास बात ये भी है कि यूपी में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें हैं। यहां सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कांग्रेस से नाराज हैं। अखिलेश की ये नाराजगी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की तरफ से भरोसा दिए जाने के बाद भी सीटों का बंटवारा न करने पर है। वैसे भी कांग्रेस अब सिर्फ 3 राज्यों में ही सरकार चला रही है। ऐसे में उसकी पतली हालत को देखते हुए विपक्षी गठबंधन अब उसे बड़ा भाई मान लेगा, ये फिलहाल नहीं लग रहा। देखना ये है कि 6 दिसंबर को मल्लिकार्जुन खरगे ने जो बैठक बुलाई है, उसमें अन्य विपक्षी दलों का रुख क्या रहता है।

अगर विपक्षी गठबंधन के बयान देख लें, तो कांग्रेस को वे झटके ही देते दिख रहे हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि अगर कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन से मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो नतीजा अलग आता। वहीं, नीतीश कुमार की जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि इंडिया गठबंधन नहीं, कांग्रेस हारी है। केरल के सीएम और सीपीएम नेता पिनरई विजयन ने कहा है कि कांग्रेस सोचती थी कि उसे हराया नहीं जा सकता। यही उसके पतन का कारण बना। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस के सारे दावे बेबुनियाद साबित हुए और अब हमें बीजेपी को बधाई देनी होगी, जिसकी उम्मीद नहीं थी। एनसीपी के शरद पवार ने भी कांग्रेस की हार पर हैरत जताई है। वहीं, लालू की आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा है कि बीजेपी के मुकाबले के लिए सामूहिकता जरूरी थी। टीएमसी के कुणाल घोष ने कहा कि बीजेपी की जीत से ज्यादा कांग्रेस की विफलता दिख रही है। कुणाल ने कहा कि ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनाया जाना चाहिए। विपक्षी नेताओं के इन बयानों से साफ हो रहा है कि चुनावों में हार से कांग्रेस के लिए इंडिया गठबंधन में अब दबदबा चलाना शायद संभव न हो। साथ ही विपक्ष के अन्य दल जितनी सीटें उसके लिए छोड़ेंगे, उसे ही कबूल करना होगा या अपने दम पर अकेले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उतरना होगा।