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Jallianwala Bagh History: आज के ही दिन हुआ था जलियांवाला बाग कांड, जानें इसका इतिहास

Jallianwala Bagh History: इस दिन हजारों की संख्या में लोग जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट, सत्यपाल और सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के विरोध में इकट्ठे हुए थे। उस समय शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। इससे अंग्रेजों को बहाना मिल गया।

नई दिल्ली। आजादी की लड़ाई के दौरन हमारे देश में कई ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। इतिहास के पन्नों में दर्ज इन घटनाओं को आज भी जब सुनते हैं तो रगों में खून दौड़ जाता है। इन कहानियों को सुनने के बाद शायद ही कोई ऐसा होगा जिसकी आंख में आंसू न आते हों। आज 13 अप्रैल की ऐसी ही एक दर्दनाक घटना है, जिसमें खून की नदियां बही थीं।  आज के दिन ही जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। ये घटना हर भारतीय के लिए रोंगटे खड़े कर देने वाली है। कहा जाता है इस नरसंहार में कुआं भारतीयों की लाशों से पट गया था। साल 1919 में पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में आज के ही दिन अंग्रेजों ने कई भारतीयों पर गोलियां बरसाईं थीं। जिसमें हजारों की संख्या में लोग मारे गए थे। मरने वालों में बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी उम्र के लोग शामिल थे।

क्यों हुआ था जलियांवाला बाग कांड?

इस दिन हजारों की संख्या में लोग जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट, सत्यपाल और सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के विरोध में इकट्ठे हुए थे। उस समय शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। इससे अंग्रेजों को बहाना मिल गया। कर्फ्यू के बीच एक साथ इतने सारे लोगों को प्रदर्शन करते हुए देखकर ब्रिटिश सरकार बौखला गई। उन्हें लगा कि ये लोग 1857 जैसी किसी क्रांति की योजना बनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। इनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं पास में लगे मेले को देखने के लिए गए हुए थे। जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए लोगों की सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, उसी समय ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर वहां पहुंच गया और वहां मौजूद करीब 5000 लोगों को घेर लिया और उन्हें चेतावनी दिए बिना ही गोलियां चलानी शुरू कर दी। उन्होंने मात्र 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाईं।

चारो तरफ से घिरे लोगों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। क्योंकि इस मैदान के चारों ओर मकान बने थे, इससे बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था, जिसे भी पुलिस ने घेर लिया था।अंग्रेजों की गोलियों से बचने के लिए लोग वहां मौजूद एकमात्र कुए में कूदने लगे। देखते ही देखते थोड़ी ही देर में कुआं भी लाशों से भर गया। इस कांड में मरने वालों का सही आंकड़ा आज भी पता नहीं चल सका है। हालांकि, अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार और जनरल डायर के इस नरसंहार में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे।