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Delhi: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने अपराधियों को हिंदू-मुसलमान में बांटा, बुलडोजर चलाने के खिलाफ SC में दी अर्जी

इस अर्जी की वजह ये है कि मध्यप्रदेश के खरगोन में बीते दिनों रामनवमी के जुलूस पर हमला करने वालों के घर बुलडोजर से शिवराज सिंह की सरकार ने गिराए हैं। अर्जी में मध्यप्रदेश के साथ यूपी और गुजरात की सरकारों को भी प्रतिवादी बनाया गया है।

नई दिल्ली। कहते हैं अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता। अपराधी की कोई जात नहीं होती। लेकिन मुस्लिम धर्मगुरुओं के संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद को अपराधी में भी हिंदू और मुसलमान नजर आ रहे हैं। नतीजे में जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर ऐसे लोगों की प्रॉपर्टी को बुलडोजर से गिराए जाने के खिलाफ अपील की है। जमीयत का कहना है कि अपराध रोकने के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश है। सुप्रीम कोर्ट में दी गई अर्जी पर जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि राज्यों को आदेश देने की अर्जी है कि वे कोर्ट की मंजूरी के बिना किसी के घर और दुकान को बुलडोजर चलाकर नष्ट न करें।

मदनी ने कहा कि पहले यूपी और फिर अब मध्यप्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में बुलडोजर चलाने की सियासत शुरू हो गई है। इस अर्जी की वजह ये है कि मध्यप्रदेश के खरगोन में बीते दिनों रामनवमी के जुलूस पर हमला करने वालों के घर बुलडोजर से शिवराज सिंह की सरकार ने गिराए हैं। अर्जी में मध्यप्रदेश के साथ यूपी और गुजरात की सरकारों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल से परामर्श के बाद अर्जी तैयार की गई है। इसे सरीम जावेद नाम के वकील ने दाखिल किया है। मदनी के मुताबिक देशभर में नफरत का माहौल है और मुसलमानों को डराया जा रहा है।

Bulldozer

जमीयत चीफ ने कहा कि मुसलमानों के मोहल्लों में मस्जिदों के सामने आकर उकसाया जा रहा है। पुलिस की मौजूदगी में लाठी-डंडे लहराकर नारे लगाए जा रहे हैं। देश में लगता है कि कोई कानून नहीं बचा है और न ही सरकार नाम की कोई चीज है। सांप्रदायिक ताकतों ने मुसलमानों का जीना दूभर कर दिया है और केंद्र सरकार खामोश है। मदनी के मुताबिक जिस तरीके से पुलिस-प्रशासन ने खरगोन में काम किया, वो आपराधिक है और कानून को लागू करना उनका लक्ष्य नहीं था। अगर संविधान के प्रति वफादारी होती, तो मुसलमानों को करौली और खरगोन में निशाना न बनाया जाता।