नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की प्रशासनिक गतिविधियों के बारे में जानने की आतुरता प्रत्येक जन के जेहन में विस्तार लेती रहती है। हर किसी यह जानने की आतुरता रहती है कि आज प्रधानमंत्री क्या करने जा रहे हैं या आज से एक सप्ताह बाद उनकी क्या कार्यप्रणाली होने जा रही है, चूंकि वे एकमात्र ऐसे यशस्वी प्रधानमंत्री हैं, जो अपनी प्रशासनिक कार्यशैली के जरिए अपने राष्ट्र की विराट ऐतिहासिक संस्कृति व धरोधर को प्रदर्शित करते हैं। इस रिपोर्ट में उनकी एक ऐसी ही आगामी कार्यविधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए वे न महज अपनी विराट मंशा को धरातल पर उतारने का काम कर रहे हैं, अपितु वे अपने महान की लक्ष्यों की भी पूर्ति कर रहे हैं।
बता दें कि इसी क्रम में वे आगामी 13 दिसंबर को धर्मनगरी वाराणसी में निर्मित हो चुकी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने जा रहे हैं। इसे लेकर साधु संतों में खुशी की लहर है। इस बीच इस लोकार्पण कार्यों से जुड़े कई गतिविधियों की चर्चा अपने चरम पर है। मसलन, उनके द्वारा उच्चारण किए जाने वाले मंत्रों को लेकर विशेष चर्चा है। माना जा रहा है कि उनके द्वारा उच्चारण किए जाने वाले मंत्रों की प्रासंगकिता आज भी यथावत बनी है। वेदों में अपने विराट अर्थों के साथ ये मंत्र अपनी जगह बनाए हुए हैं। आइए, इस रिपोर्ट में आगे की कार्यविधियों के बारे में में जानते हैं।
बता दें कि भूमि पूजन सुबह शुरू हो जाएगा। सभी पीठों संतों, महात्मा, साधुओं की उपस्थिति में समस्त देश की नदियों की जल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ धाम का पूजन करेंगे। इन मंत्रों का उल्लेख वेदों में किया गया है। काशी विद्त परिषद की देखरेख में लोकार्पण की पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए बीएचयू धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर डा. रामनारायण दिवेदी बताते हैं कि प्रथम पूज्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसके जरिए गणपति की भी आराधना की जाती है।
मान्यता है कि इन मंत्रों का उच्चारण करने से सारे रोग, कष्टों व व्याधियों का निवारण हो जाता है। इसके अतरिक्त इन मंत्रों के उच्चारण से मनुष्य की सारी मनोकामानाएं संपन्न हो जाती है। हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में इसलिए यह सब बता रहे हैं, क्योंकि पीएम मोदी द्वारा लोकार्पण कार्यक्रम में इन मंत्रों का उच्चारण बड़े पैमाने पर किया जाएगा। विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आमतौर पर अपनी प्रशासनिक व राजनीतिक गतिविधियों कार्यों में अपनी संस्कृति शैली का सहारा लेते हैं जिसे लेकर न महज उनकी प्रशंसा की जाती है, अपितु उनकी यह शैली उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग पहचान प्रदान करती है।