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अयोध्या के बाद काशी-मथुरा को लेकर हुंकार, ‘अगर लॉकडाउन ना होता तो अबतक काशी मुक्त हो गया या फिर…’

सुधीर सिंह(Sudhir Singh) ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो काशी विश्वनाथ(Kashi Vishwanath) की कथित मुक्ति के लिए बनारस में इन दिनों मुखर हैं। अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद और खुद काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ पुजारी भी अब इस मुद्दे पर बोलने लगे हैं।

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। 5 अगस्त को पीएम मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन के बाद से ही राम मंदिर की आधारशिला रखी गई। कई सालों के लंबे इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है। ऐसे में अब काशी मथुरा में मस्जिद हटाने की मांग तेज हो गई है। काशी विश्वनाथ को मुक्त करने के लिए सुधीर सिंह का कहना है कि, ‘अगर लॉकडाउन न हुआ होता तो अब तक या तो काशी विश्वनाथ मुक्त हो गया होता या फिर हम राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद होते।’

kashi vishvanath

बता दें कि सुधीर सिंह वही व्यक्ति हैं जो काशी में सबसे मजबूती से यह दावा कर रहे हैं कि अयोध्या के बाद अब ‘काशी-मथुरा बाकी है’ के नारे को हकीकत में बदलने का समय आ गया है। इसके अलावा सुधीर के राजनीतिक जीवन की बात करें तो वो कई साल तक समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं, वे पार्टी के प्रदेश सचिव रह चुके हैं और काशी से मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

इसके अलावा सुधीर सिंह मौके पर शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव हैं। सुधीर सिंह बीते आठ महीनों में दो बार जेल भी जा चुके हैं। उनकी पहली गिरफ्तारी तब हुई थी जब उन्होंने काशी के संकटमोचन मंदिर से ज्ञानवापी तक ‘दण्डवत यात्रा’ निकालने का ऐलान किया। यह यात्रा कई मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर निकलनी थी लिहाजा माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने यात्रा से एक दिन पहले ही सुधीर सिंह को गिरफ्तार कर बनारस जिला जेल भेज दिया।

Kashi Sudhir Singh

तीन दिन जेल में रहने और दस लाख के जमानती पेश करने के बाद सुधीर सिंह को जमानत मिल गई। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक और विवादास्पद आयोजन किया। इस बार वे ‘काशी कोतवाल’ कहलाने वाले बाबा भैरव नाथ के मंदिर पहुंचे और यहां उन्होंने काशी विश्वनाथ की ‘मुक्ति’ के लिए एक ‘मुक्ति पत्रक’ मंदिर में दिया। इस बार मंदिर से ही सुधीर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया जहां वे चार दिन रहे और दोबारा दस लाख के जमानती पेश करने के बाद रिहा हुए। ये घटना देश भर में लागू हुए लॉकडाउन से ठीक पहले की है।

Kashi Temple Shrikant Mishra

फिलहाल सुधीर सिंह ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो काशी विश्वनाथ की कथित मुक्ति के लिए बनारस में इन दिनों मुखर हैं। अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद और खुद काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ पुजारी भी अब इस मुद्दे पर बोलने लगे हैं। विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने तो हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘समुदाय विशेष को वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित कब्जे वाले उस धर्मस्थल को हृदय पक्ष के स्वच्छ भाव व स्वस्थ मानसिकता से छोड़ देना चाहिए जो एक आक्रांता के द्वारा बर्बरता से बाबा विश्वनाथ के मन्दिर को तोड़कर बनाया गया।’