नई दिल्ली। शायद इसे ही राजनीति कहते हैं, जहां ना मित्रता स्थायी है और ना ही शत्रुता। सबकुछ अवसर के तराजू पर टिका हुआ है। यकीन ना हो तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान को ही देख लीजिए जो उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिया। उन्होंने आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान चुन-चुन कर कांग्रेस पर हमला बोला। कभी शिक्षा को लेकर, तो कभी स्वास्थ्य को लेकर, तो कभी कानून व्यवस्था को लेकर। शायद ही ऐसा कोई मसला रहा हो, जिसका जिक्र केजरीवाल ने अपने भाषण में नहीं किया हो। सधे शब्दों में कहें, तो केजरीवाल ने चुन-चुन कर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और लगे हाथों यह भी कह दिया कि अगर हमारी सरकार सूबे में आती है, तो हम अपने द्वारा किए गए वादों को पूरा करेंगे। आगे कि रिपोर्ट में हम आपको केजरीवाल द्वारा किए गए वादों के बारे में विस्तार से बताएंगे, लेकिन उससे पहले जरा आप यह जान लीजिए कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दलों ने गठबंधन की नौका पर सवार होने का मन बनाया। जिसका नाम इंडिया रखा गया है।
इस संदर्भ में बीते दिनों पटना में बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी शामिल हुई थी। लेकिन, बाद में कांग्रेस ने दिल्ली लोक सेवा बिल को लेकर आप का समर्थन करने से गुरेज किया, लेकिन समझाइश के बाद कांग्रेस ने आप को समर्थन देने का ऐलान किया, लेकिन इस समर्थन का कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि दिल्ली लोक सेवा बिल संसद के दोनों सदनों से पारित होकर अब कानून का रूप धारण कर चुका है। बीते दिनों राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर के साथ इसे मंजूरी दे दी।
वहीं, सियासी विश्लेषकों की मानें तो सीएम केजरीवाल दिल्ली लोक सेवा बिल के कानून बन जा्ने के बाद कांग्रेस पर आक्रमक हो चुके हैं। बीते दिनों शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था। केजरीवाल ने अपने संबोधन में कांग्रेस द्वारा किए गए घोटालों का भी जिक्र किया था। जिसके बाद सियासी गलियारों में केजरीवाल के इस बदले रूख को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार हो गया। वहीं, आज छत्तीसगढ़ में केजरीवाल कांग्रेस पर हमला बोलने को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं। आइए, आगे आपको केजरीवाल के संबोधन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
बता दें कि केजरीवाल ने अपने संबोधन की शुरुआत कांग्रेस की विफलताओं से की, जिसमें उन्होंने कहा कि यह पार्टी महज वादा करना जानती है और यह वादा सिर्फ और सिर्फ वो अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ति करने के लिए करती है। एक बार जब इनकी राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी हो जाती हैं, तो ये लोग अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में भयानक स्थिति है। उधर, केजरीवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार बनने पर सरकारी स्कूलों की हालत दुरूस्त की जाएगी। बुनियादी ढांचों को मजबूत किया जाएगा। युवाओं को प्रतिमाह 3 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। मोहल्ल क्लीनिक विकसित किया जाएगा। बुजुर्गों को तीर्थयात्रा पर भेजा जाएगा।
हालांकि, इस तरह के दावे और वादे केजरीवाल पहले भी कर चुके हैं, लेकिन वो जमीन पर कितने खरे उतर पाए। यह अपने आप में जांच का विषय है। वहीं, अब केजरीवाल के बदले रूख पर कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभालते हुए पवन खेड़ा का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि रायपुर क्यों जाएं? हमारी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रदर्शन की तुलना पिछली रमन सिंह सरकार से की जाएगी। आइए हम अपनी पसंद का एक क्षेत्र चुनें और यहां दिल्ली में कांग्रेस सरकार बनाम अपनी सरकार के प्रदर्शन की तुलना करें। बहस के लिए तैयार हैं?
Why go to Raipur? Performance of our Chattisgarh govt will be compared with the previous Raman Singh govt.
Let us choose a sector of your choice and compare the performance of Congress government in Delhi vs your govt here.
Ready for a debate?रायपुर की उड़ान भरने से पहले… https://t.co/0wqOaOdOJO
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) August 19, 2023
वहीं, सियासी विश्लेषकों द्वारा कहा आप संयोजक के बदले रूख पर कहा जा रहा है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो इंडिया गठबंधन में कलह शुरू हो जाएगी। बहरहाल, अब आगामी दिनों में यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।