नई दिल्ली। केरल दहेज हत्याओं की राजधानी बनता जा रहा है। केरल के भीतर एक के बाद दूसरी दहेज हत्याओं ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। ऐसे में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की दहेज के खिलाफ एक दिन की भूख हड़ताल ने राज्य की वाम सरकार को भारी दबाव में ला दिया है। स्त्री हकों के प्रति राज्यपाल आरिफ मोहम्माद खान की संवेदनशीलता का ये आलम है कि वे खुद मौके पर पहुंचकर ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी लेते हैं और कार्यवाही की आवाज़ बुलंद करते हैं। इसी सिलसिले में वे विस्मया नाम की आर्युवेद स्टूडेंट के घर भी पहुंच गए थे। विस्मया हाल ही में अपने पति के घर में मृत पाई गई। उसने कोल्लम जिले में दहेज की वजह से बुरी तरह त्रस्त किए जाने और टार्चर की शिकायत की थी।
राज्यपाल की इस पहल ने केरल के राजनीतिक फलक पर नए विमर्श के आयाम खोल दिए हैं। विपक्षी बीजेपी ने राज्यपाल की पहल का जमकर समर्थन किया है। बीजेपी के सीनियल लीडर और केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने इसे देश के प्रशासनिक इतिहास में एक दुर्लभ अध्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मालूम करें कि आखिर क्यों राज्यपाल को महिलाओं की सुरक्षा की खातिर भूख हड़ताल करनी पड़ी।
उधर कांग्रेस भी राज्यपाल के इस कदम के हक में उतर आई है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सुधाकरण ने इसे पूरी तरह से राज्य सरकार की विफलता करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विफलता ने ही राज्यपाल को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने एक न्यायसंगत कदम उठाया है और उनकी इस पहले के बेहद ही गंभीर अर्थ हैं।
केरल में दहेज हत्याओं का सिलसिला सा होता जा रहा है जबकि वाम मोर्चा की सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है। विस्मया के साथ ही कई अन्य महिलाएं भी दहेज के दानव का शिकार हुई हैं। उनके परिवारों ने भी दहेज को ही उनकी असमय मृत्यु की वजह करार दिया। ऐसे में राज्यपाल के इस कदम ने केरल के पूरे सिस्टम और राजनीतिक मशीनरी में भूचाल ला दिया है।