नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस के राज्यसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष को एकजुट करने का आजकल अभियान चलाया हुआ है, लेकिन विपक्ष को एकजुट करने की उनकी और राहुल गांधी की कोशिश नाकाम साबित हो रही है। दो ऐसी पार्टियां हैं, जो राहुल और खड़गे के विपक्षी एकता के अभियान को लगातार ठेंगा दिखा रहे हैं।
यही नजारा राहुल गांधी की विपक्ष की मीटिंग में दिखा था और आज भी देखा गया। दरअसल, खड़गे और राहुल गांधी ने मिलकर विपक्ष के नेताओं को अपने दफ्तर में चाय पीने बुलाया। इस मीटिंग में सिर्फ 14 विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे। बीएसपी सुप्रीमो मायावती और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने अपने किसी नेता को राहुल और खड़गे की मीटिंग में नहीं भेजा। इस मीटिंग में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, खड़गे और अधीर रंजन चौधरी मौजूद रहे।
इनके अलावा डीएमके, सपा, शिवसेना, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीएम, सीपीआई, टीएमसी, आरजेडी, मुस्लिम लीग, आरएसपी, वीसीके, केरल कांग्रेस (मणि) और एलजेडी के नेता मौजूद थे। पहले हुई दो मीटिंग की तरह केजरीवाल और मायावती की पार्टी का कोई भी यहां नहीं था।
बता दें कि केजरीवाल की पार्टी पंजाब में कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। ऐसा ही यूपी में मायावती भी कर रही हैं। ऐसे में मोदी के खिलाफ विपक्ष की एकता को दो दलों का ग्रहण लग गया है। वहीं, विपक्ष का नेता होने के दावे में राहुल को ममता बनर्जी की भी चुनौती है। खड़गे ने पिछले दिनों इस बारे में सवाल पूछने पर कहा था कि पहले मोदी को हटाने के लिए विपक्ष एकजुट हो जाए, उसके बाद नेता भी तय कर लिया जाएगा।