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Punjab: जानिए किसान आंदोलन में बंद कराए गए अडानी साइलो प्लांट के बारे में, जो बना पंजाब में गेहूं की खरीद की पहली पसंद

Punjab: साइलो प्लांट के टर्मिनल मैनेजर अमनदीप सिंह की मानें तो इस समय प्रतिदिन साढ़े सात हजार टन गेहूं स्टोरेज के लिए इस प्लांट में पहुंच रहा है। हर दिन लगभग 1100 ट्रॉलियां साइलो प्लांट में उतर रही हैं। जिससे साइलो प्लांट के दोनों तरफ दो किलोमीटर मोगा की ओर तथा दो किलोमीटर फिरोजपुर की ओर हाईवे पर गेहूं से भरी ट्रैक्टर ट्रालियों की लाइनें लगी हुई देखने को मिल रही है।

नई दिल्ली। किसी ने क्या खूब कहा है ‘समय बदलते समय नहीं लगता’। आपमें से भी कई लोगों ने ऐसी चीजें अपने जीवन में देखीं होंगी जिसे देखकर आपके मुंह से भी ये जरूर निकला होगा कि ‘समय बदलते समय नहीं लगता’। कुछ ऐसा ही बदलाव फिरोजपुर रोड पर बने अडानी साइलो प्लांट को लेकर देखने को मिला है। एक साल के अंदर इस साइलो प्लांट को लेकर किसानों के मन में तस्वीर पूरी तरह ही बदल गई है। अगर आप अब भी मामले को नहीं समझ पाए हैं तो आपको बता दें, ये वहीं साइलो प्लांट है जिसे उस वक्त बंद करवा दिया गया था जब किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। एक वो समय था जब इसे बंद कराने के लिए काफी मशक्कत हुई और आज इसी प्लांट में गेहूं स्टोर करवाने के लिए किसान 42 डिग्री तापमान में अपनी ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर प्लांट के दोनों ओर दो-दो किलोमीटर लंबी लाइन में खड़े हैं। 42 डिग्री तापमान में वह अपनी ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर प्लांट के दोनों ओर दो-दो किलोमीटर लंबी लाइन में खड़े हैं। किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध के दौरान इस प्लांट को चलने नहीं दिया था। नतीजा ये रहा कि इस बार साइलो प्लांट में बाकी सालों की तुलना में 30-35 टन का कम स्पेस मिला है।

adani silo plant..

12-12 घंटे धूप में खड़े होकर किसान कर रहे इंतजार

अचानक गेहूं की आमद बढ़ने से किसानों को करीब 12-12 घंटों तक धूप में खड़े रहना पड़ रहा है। वहीं, प्लांट में एंट्री करने के बाद किसान का गेहूं आधा घंटे में स्टोर होने के बाद उसे पेमेंट की भी पर्ची मिल जाती है। इतना ही तकरीबन 48 घंटे के समय में किसान के खाते में पेमेंट भी कर दी जाती है।

साइलो प्लांट से मिल रही ये सुविधा

किसानों को साइलो प्लांट में अधिक फायदा हो रहा है ये कहना गलत नही होगा क्योंकि जहां एक ओर मंडियों में किसानों को अपनी फसल बेचने में चार से पांच दिन लगते हैं तो वहीं, साइलो प्लांट में 6 से लेकर 12 घंटे में ही अपना गेहूं बेचकर किसान घर के लिए लौट जा रहे हैं। सरकार एजेंसी जहां नमी की मात्रा ज्यादा बताकर अनाज खरीदने से मना कर रही है तो वहीं साइलो प्लांट में केवल एफसीआइ को आवंटित मंडियों का गेहूं ही स्टोर किया जा रहा है। साइलो प्लांट एफसीआइ के पास साल 2025 तक किराये पर है।

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प्लांट में 12,500 टन क्षमता के 16 स्टील के ड्रम

साइलो प्लांट में करीब 12,500 टन क्षमता के 16 स्टील के ड्रम हैं जो कि तकनीकी रूप से इस प्रकार से बनाए गए हैं कि इनके अंदर गेहूं स्टोर होने के बाद गर्मी, सर्दी और बारिश, किसी का भी असर नहीं पड़ता। इन ड्रमों में कई सालों तक गेहूं सुरक्षित रहता है। बात प्लांट की स्टोरेज क्षमता की करें तो ये दो लाख मीट्रिक टन की है। जिसमें खरीद शुरू होने तक 85 हजार मीट्रिक गेहूं का स्पेस खाली था, वहीं, अब तक करीब 15 हजार मैट्रिक टन गेहूं आ चुका है। किसान आंदोलन की वजह से बीते सालों का स्टोर गेहूं यहां से शिफ्ट न हो पाने के कारण इस बार स्पेस पिछले सालों की तुलना में कम रहेगा।

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रोजाना पहुंच रहा साढ़े सात हजार टन गेहूं

साइलो प्लांट के टर्मिनल मैनेजर अमनदीप सिंह की मानें तो इस समय प्रतिदिन साढ़े सात हजार टन गेहूं स्टोरेज के लिए इस प्लांट में पहुंच रहा है। हर दिन लगभग 1100 ट्रॉलियां साइलो प्लांट में उतर रही हैं। जिससे साइलो प्लांट के दोनों तरफ दो किलोमीटर मोगा की ओर तथा दो किलोमीटर फिरोजपुर की ओर हाईवे पर गेहूं से भरी ट्रैक्टर ट्रालियों की लाइनें लगी हुई देखने को मिल रही है।