नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज देश का आम बजट पेश करने वाली हैं। ये बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए होगा। इस साल 9 राज्यों के विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव है। ऐसे में इस बजट को लोकलुभावन रखने के लिए निश्चित तौर पर सीतारमण सारा जोर लगाएंगी। दुनियाभर में रूस-यूक्रेन जंग की वजह से आर्थिक हालात काफी खराब दिख रहे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखना और सरकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने के सारे कदम वित्त मंत्री सीतारमण इस बजट में पेश कर सकती हैं। निर्मला सीतारमण के साथ ही वित्त मंत्रालय के चुनिंदा बड़े अफसरों ने बजट बनाने में अपना अमूल्य सहयोग दिया है। इनके बारे में आपको हम बताने जा रहे हैं।
मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार यानी सीईए वी. अनंत नागेश्वरन हैं। वो आईआईएम अहमदाबाद से शिक्षा हासिल कर चुके हैं। बड़े अर्थशास्त्रियों में नागेश्वरन की गिनती की जाती है। किसी भी बजट का खाका उससे पहले साल के आर्थिक सर्वेक्षण से लगाया जाता है। नागेश्वरन ने संसद में पेश पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण को तैयार कराया है। इस लिहाज से बजट को तैयार करने में उनका सबसे महत्वपूर्ण रोल है।
नागेश्वरन के बाद बजट तैयार कराने में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की बड़ी भूमिका है। वो तमिलनाडु कैडर के आईएएस हैं। सोमनाथन पहले पीएमओ में काम कर चुके हैं। बजट में हर तरह के आय और खर्चे का हिसाब किताब लगाने की उनकी जिम्मेदारी रही है। वित्त मंत्री सीतारमण के बजट भाषण का पूरा खाका भी अंतिम तौर पर वही देखते रहे हैं। सोमनाथन के अलावा बजट में वित्तीय सेवा के सचिव विवेक जोशी का भी बड़ा हाथ है। वो हरियाणा कैडर के आईएएस हैं। 2 सरकारी और एक साधारण बीमा कंपनी को निजी हाथों में बेचने का प्लान विवेक जोशी के ही जिम्मे रहा। हालांकि, सरकार अब तक इनको बेचने का कदम उठा नहीं सकी है।
सरकार का खजाना यानी राजस्व। ये बजट में अहम होता है। राजस्व विभाग ही ये आंकड़ा जुटाता है कि सरकारी योजनाओं के खर्च के लिए कितना धन चाहिए। ये काम राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का है। वो राजस्थान कैडर के आईएएस हैं। कर के जरिए राजस्व जुटाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर फिलहाल है। इनके अलावा आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और दीपम विभाग के सचिव तुहिनकांत पांडेय भी बजट तैयार करने में शामिल रहे हैं। अजय सेठ कर्नाटक कैडर के आईएएस हैं। वहीं, सरकारी कंपनियों के निजीकरण का काम देखने वाले तुहिनकांत ने तय किया होगा कि सरकार किन कंपनियों का विनिवेश कर खजाने में धन जुटा सकती है। तुहिनकांत अब तक नीलाचल इस्पात और एयर इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों के निजीकरण में अहम भूमिका अदा कर चुके हैं।