लखनऊ। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने यूपी में लोकसभा की 25 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का एलान किया है। एआईएमआईएम के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान ने ये आरोप भी लगाया है कि अखिलेश यादव बीजेपी से मिले हुए हैं। फरहान ने ये भी कहा है कि अगर एआईएमआईएम के उम्मीदवार उतारने के कारण खुद को सेकुलर बताने वाले दलों को पराजय का सामना करना पड़ा, तो इसकी जिम्मेदारी उन दलों की ही होगी। असदुद्दीन ओवैसी लगातार कहते हैं कि मुस्लिमों का वोट तो सेकुलर पार्टियां लेती हैं, लेकिन उनको कभी सांसद या विधायक बनते देखना नहीं चाहतीं। ओवैसी लगातार कहते हैं कि ऐसी पार्टियों को छोड़कर एआईएमआईएम को जिताएं। ऐसे में इस पर गौर करना जरूरी है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने यूपी में पहले कितना दम दिखाया है।
यूपी में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का कितना दम है, इसकी पड़ताल 2022 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़े ही बता देते हैं। 2022 में ओवैसी की पार्टी ने यूपी की 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। मतगणना के लिए जब इन सीटों के ईवीएम को ऑन किया गया, तो ओवैसी की पार्टी को जोर का झटका लगने की बात सामने आई थी। जरा आंकड़े ही देख लीजिए। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में 637304 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। नोटा का प्रतिशत 0.69 था। जबकि, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को 0.49 फीसदी वोट ही मिले थे। एआईएमआईएम के सभी प्रत्याशियों के वोटों को जोड़ें, तो ओवैसी की पार्टी को कुल 450929 वोट ही मिल सके थे।
2022 के यूपी विधानसबा चुनाव में इस तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। इन चुनावों के दौरान एक्सिस माई इंडिया ने एक सर्वे भी किया था। इस सर्वे से पता चला था कि यूपी के मुस्लिम बहुल इलाकों में 82 फीसदी लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया। जबकि, यादव बहुल इलाकों में 83 फीसदी मुस्लिम वोट भी समाजवादी पार्टी के ही खाते में गए थे। इन्हीं आंकड़ों से अनुमान लग जाता है कि यूपी में ओवैसी की पार्टी का क्या हश्र हो सकता है। हालांकि, राजनीति संभावनाओं वाला क्षेत्र है और ऐसे में सियासत का ऊंट कभी भी कोई करवट बैठ सकता है।