दुशांबे। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दक्षिण एशिया और आसपास के इलाकों में रणनीतिक हालात भी बदले हैं। चीन ने तालिबान का समर्थन किया है। खबर है कि चीन से ट्रकों में हथियार भरकर पाकिस्तान के रास्ते तालिबान तक पहुंच रहे हैं। वायुसेना ऐसे में काफी सतर्क हो गई है। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा है कि अमेरिका के अफगानिस्तान से हटने के साथ ही चीन ने अपनी निगाहें इस इलाके पर टिका दी हैं। भदौरिया का मानना है कि चीन अब मध्य एशिया के दशों में दखल देना शुरू करेगा। ऐसे में चीन से निपटने में ताजिकिस्तान में वायुसेना का आयनी बेस काफी अहम रहने वाला है। आयनी बेस विदेश में भारतीय वायुसेना का अकेला बेस है। यह ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के पास है। भारत ने इसे तैयार करने में 7 करोड़ डॉलर खर्च किए थे। यहां 3200 मीटर का रनवे, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, नेविगेशन के यंत्र और एयर डिफेंस सिस्टम बनाए गए थे।
ताजिकिस्तान में तालिबान के ताजा कब्जे के बाद आयनी बेस अब फिर चर्चा में है। अफगानिस्तान से निकाले जा रहे लोगों को भारतीय वायुसेना के विमान आयनी बेस के रास्ते ही देश ला रहे हैं। साल 2001 में आयनी बेस तैयार करने का प्रस्ताव आया था। एयर चीफ मार्शल रहे बीएस धनोआ को 2005 में यहां पहला बेस कमांडर तैनात किया गया था। मोदी सरकार में यहां पहली बार फाइटर प्लेन भी तैनात किए गए हैं।
‘द प्रिंट’ के मुताबिक पीओके से ताजिकिस्तान का आयनी बेस महज 20 किलोमीटर दूर है। यहां से भारत जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और ईरान तक हमला कर सकता है। इस वजह से इस बेस का काफी महत्व है। द प्रिंट की रिपोर्ट कहती है कि ताजिकिस्तान के बेस से वायुसेना के प्लेन पाकिस्तान के पेशावर को भी निशाना बना सकते हैं। ऐसे में किसी जंग की हालत में पाकिस्तान को अच्छा-खासा नुकसान हो सकता है।