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Farmers Protest: सरकार पर ट्रैक्टर रैली हिंसा में साजिश का आरोप लगाने वाले राजनीतिक दल देख लें, घटनास्थल पर खुद मौजूद थे कई दलों के लोग, तस्वीरों से हुए खुलासा!

Farmers Protest: लाल किले पर हुई हिंसा और अराजकता में केंद्र सरकार को घेर रहे सभी दल, दीप सिद्धू का भाजपा से संबंध दिखाकर इसे अलग करने की कोशिश करने लगे और यह बताने लगे कि सरकार के द्वारा यह पूरी साजिश रची गई। ताकि किसानों के आंदोलन को कमजोर किया जाए। लेकिन इस लाल किले की अराजकता के माहौल के बीच जिस तरह से राजनीतिक दलों के नेताओं की फोटो वहां से वायरल हुई उसने इनकी पोल खोलकर रख दी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर एक तरफ किसान सड़कों पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को सियासी समर्थन भी खूब मिल रहा है। क्या कांग्रेस, क्या टीएमसी, क्या आप देश का लगभग हर विपक्षी दल किसानों के विरोध के समर्थन में उतर आया है। इस आंदोलन को पूरा राजनीतिक सहयोग मिल रहा है। वहीं सरकार की तरफ से इन तीनों कृषि कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद और बेहतर बनाने की साथ 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा की घटना के बाद भी उनके साथ बातचीत जारी रखने की बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह 26 जनवरी पर लाल किले के प्राचीर में जो तिरंगे का अपमान हुआ उससे दुखी हैं लेकिन किसानों के साथ फिर भी बातचीत जारी रहेगी और सरकार हमेशा किसानों के भविष्य को बेहतर और बेहतर बनाने के लिए काम करती रहेगी।

लाल किले पर ट्रैक्टर रैली के दौरान जो अराजकता और तिरंगे का अपमान हुआ उससे पहले सभी किसान नेता इस बात का जिक्र कर चुके थे कि इस आंदोलन को किसी भी तरह से राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त नहीं है। लेकिन लगातार इस आंदोलन के धरनास्थल पर राजनीतिक नेताओं का आना जाना लगा रहा वहीं सोशल मीडिया पर भी राजनीतिक दल के नेता किसान आंदोलन के समर्थन में सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी करते नजर आते रहे। यह सिलसिला अभी भी जारी है। लेकिन राकेश टिकैत के द्वारा फिर से इकट्ठा किए गए किसानों के द्वारा जब दोबारा आंदोलन में जान आई तो जिस तरह से राष्ट्रीय लोकदल से शुरुआत होने के बाद एक-एक कर सभी विपक्षी राजनीतिक दलों के बड़े छोटे नेता यहां राकेश टिकैत से मिलने पहुंचे उन्होंने साफ कर दिया कि यह आंदोलन शुरू से ही राजनेतिक था।

लाल किले पर हुई हिंसा और अराजकता में केंद्र सरकार को घेर रहे सभी दल, दीप सिद्धू का भाजपा से संबंध दिखाकर इसे अलग करने की कोशिश करने लगे और यह बताने लगे कि सरकार के द्वारा यह पूरी साजिश रची गई। ताकि किसानों के आंदोलन को कमजोर किया जाए। लेकिन इस लाल किले की अराजकता के माहौल के बीच जिस तरह से राजनीतिक दलों के नेताओं की फोटो वहां से वायरल हुई उसने इनकी पोल खोलकर रख दी।

तस्वीरों ने साफ बयां कर दिया कि 26 जनवरी को किसान परेड में कोई भी राजनीतिक दल शामिल नहीं था का दावा बिल्कुल गलत था। लाल किले पर सिखों को निशान साहिब लेकर वहां राष्ट्रीय लोक दल के पूर्व विधायक वीरपाल राठी मौजूद थे। ये वही रालोद है जिनके नेता जयंतो चौहान ने राकेश टिकैत के भावुक होते ही उन्हें फोन कर अपना समर्थन देने का दावा कर दिया था।

वहीं इसके साथ एक और फोटो है रालोद के यूथ विंग के प्रदेश महासचिव गज्जु पठान के ड्राइवर शाहजाद की जो आरएलडी का बिल्ला लगाए उस समय लाल किले पर मौजूद था। ऐसे में इस बात से भले किसान नेता इनकार कर रहे हों कि यह आंदोलन पूरी तरह से किसानों का आंदोलन था और इसमें कोई राजनीतिक दल सहयोग नहीं कर रही थी यह गलत था।

यूथ कांग्रेस के उत्तराखंड के ट्वीटर हैंडल पर तो इसे लाल किला फतह तक लिख दिया गया। हो हल्ला मचा तो ट्वीट हटाना पड़ा। लेकिन कांग्रेस के ही राजस्थान के नेता नरेश मीणा ने तो लालकिले से उस समय अपने होने का एलान सोशल मीडिया के जरिए कर दिया और वीडियो के साथ फोटो भी साझा की।


आप इन तस्वीरों और ट्वीट के जरिए इन सारी बातों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। विपक्षी दल जो लाल किले से इस पूरे अराजक माहौल को सरकार की साजिश करार दे रहा था वह आखिर था क्या?, पुलिस मामले की जांच कर रही है और अब ऐसे में ये सारे राज बस खुलने ही वाले हैं।

May be an image of food and text that says 'किसान नही तोदेशनह Uttarakhand Youth Congress @IYCUttarakhand किसानों ने लाल किले को फतेह किया| इंकलाब जिंदाबाद| #HistoricTractorMarch Translate Tweet 13:49 26 Jan 21 Twitter for Android'