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POCSO Act: मुस्लिमों में शादी के बाद नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाया तो लगेगा पॉक्सो एक्ट, केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

जस्टिस कुरियन ने कहा कि पॉक्सो एक्ट खास तौर पर बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए लाया गया खास कानून है। किसी भी बच्चे के खिलाफ हर तरह के यौन शोषण को इस एक्ट में जगह दी गई है। शादियों को भी पॉक्सो एक्ट से बाहर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

तिरुवनंतपुरम। पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों में रजस्वला बेटी की शादी करने का नियम है। बच्ची का 14-15 साल में निकाह पर्सनल लॉ के तहत जायज है, लेकिन अब केरल हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिमों में नाबालिग रजस्वला बच्ची की शादी भी पॉक्सो एक्ट के दायरे में है। यानी ऐसी बच्ची के साथ अगर शारीरिक संबंध स्थापित किया गया, तो उसके पति पर पॉक्सो का सख्त कानून लागू होगा। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर विवाह में एक पक्ष नाबालिग है, तो विवाह भले ही पर्सनल लॉ के तहत वैध हो, लेकिन इस मामले में पॉक्सो की धाराएं लागू की जाएंगी।

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जस्टिस कुरियन ने कहा कि पॉक्सो एक्ट खास तौर पर बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए लाया गया खास कानून है। किसी भी बच्चे के खिलाफ हर तरह के यौन शोषण को इस एक्ट में जगह दी गई है। शादियों को भी पॉक्सो एक्ट से बाहर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। ये बच्चे की क्षमता के विकास को बाधित करता है और समाज के लिए अभिशाप है। जस्टिस कुरियन ने पॉक्सो एक्ट की ये व्याख्या करते हुए 31 साल के व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज कर दी। इस व्यक्ति ने कहा था कि उसने पर्सनल लॉ के तहत मार्च 2021 में शादी की थी।

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इससे पहले लक्षद्वीप में एक पॉक्सो कोर्ट ने 2 बच्चियों से दुष्कर्म में दंपति को उम्रकैद की सजा दी थी। पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज अनिल कुमार ने मूसा कुन्नागोथी और नूरजहां बंडरागोथी को बच्चियों से दुष्कर्म और वीडियो बनाने का गुनहगार पाया था। इससे पहले भी कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आया था। जिसमें पॉक्सो को किसी भी समुदाय के पर्सनल लॉ से ऊपर बताया गया था। इस फैसले में कहा गया था कि पॉक्सो कानून के तहत किसी भी पर्सनल लॉ को बच्चों के यौन शोषण की छूट नहीं मिली हुई है।