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UP: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मस्जिद विवाद पर मथुरा कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को दिया जोरदार झटका,1991 के पूजा स्थल कानून पर कही बड़ी बात

मथुरा की अदालत ने यहां की दीवानी अदालत की ओर से शाही ईदगाह को हटाए जाने के लिए दर्ज अर्जी को खारिज करने वाले फैसले को भी पलट दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से रंजना अग्निहोत्री और 6 अन्य की पुनर्विचार अर्जी स्वीकार कर ली है।

मथुरा। यूपी के मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमी और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद का मसला भी इधर तूल पकड़ रहा है। इस मामले में हिंदू पक्ष ने 10 अर्जियां कोर्ट में दी हैं। मुस्लिम पक्ष इसके विरोध में 1991 में बने पूजास्थल संबंधी कानून की दलील देकर कह रहा है कि मस्जिद के खिलाफ कोई केस नहीं किया जा सकता। वहीं, अब निचली अदालत ने साफ कर दिया है कि इस मामले में पूजास्थल संबंधी कानून लागू नहीं होगा। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी को मंजूर करते हुए कहा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का मसला डिक्री विभाजन पर है। विवादित जमीन पर पूजास्थल कानून बनने से काफी पहले 1968 में डिक्री विभाजन के मसौदे पर दस्तखत हुए थे।

mathura idgah

मथुरा की अदालत ने यहां की दीवानी अदालत की ओर से शाही ईदगाह को हटाए जाने के लिए दर्ज अर्जी को खारिज करने वाले फैसले को भी पलट दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से रंजना अग्निहोत्री और 6 अन्य की पुनर्विचार अर्जी स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने कहा है कि अर्जी देने वालों ने मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट के बीच समझौते और डिक्री को चुनौती दी है। ऐसे में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4(3)(बी) लागू नहीं होता है। एक्ट की इस धारा की उप धारा 2 में साफ कहा गया है कि ये कानून पूर्व में कोर्ट की तरफ से सुलझाए या समझौता कराए गए मामलों में लागू नहीं होगा।

mathura mosque 2

बता दें कि मुथरा की दीवानी अदालत ने मस्जिद को हटाने की अर्जी को खारिज कर दिया था। ताजा फैसले से वो आदेश अमान्य हो गया है। मथुरा के कोर्ट ने साफ किया है कि साल 1968 में विवादित जमीन के बंटवारे का समझौता हुआ। जिसे अब अर्जी दाखिल करने वालों ने चुनौती दी है। ताजा अर्जी में श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच समझौते को चुनौती देते हुए कहा गया है कि क्या सेवा ट्रस्ट को समझौते का हक था? अब ट्रस्ट को इस सवाल पर अपनी तरफ से सबूत पेश करने होंगे।