नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच आज अफगानिस्तान के मसले पर अहम बैठक हुई। इस बैठक में तालिबान के कब्जे से पैदा हुए हालात और अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को वापस लाने के मुद्दे पर कितना काम अभी और करना है, इस पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने अफगान नागरिकों, वहां रहने वाले हिंदुओं और सिखों को भारत लाए जाने के लिए उठाए गए कदमों पर भी विचार किया। बता दें कि गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि अफगानिस्तान के जो नागरिक भारत आना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन ई-वीजा दिया जाएगा। ये फैसला इस वजह से किया गया है क्योंकि अफगानिस्तान में भारत का दूतावास भी बंद है और कॉन्सुलेट्स में भी काम नहीं हो रहा है। मोदी सरकार फिलहाल ऑपरेशन देवी शक्ति के जरिए काबुल में फंसे भारतीय नागरिकों को ला रही है। इनके अलावा तमाम अफगान हिंदू और सिखों को भी लाया गया है। अब भी अफगानिस्तान में करीब 700 हिंदू और सिख हैं। इन्हें भी लाने की तैयारी की जा रही है।
अकाली दल के सांसद मनजिंदर सिंह सिरसा ने मोदी सरकार से अपील की थी कि सीएए के तहत नागरिकता देने की कटऑफ डेट 2021 की तय की जाए। सूत्रों के अनुसार सरकार इस पर भी विचार कर रही है, लेकिन उसके लिए संसद से संशोधन बिल पास कराना होगा। उधर, काबुल में हालात बहुत गंभीर हैं। काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले की चेतावनी भी अमेरिका ने जारी की है। इसके बाद वहां अफरा-तफरी और बढ़ गई है। काबुल के एक गुरुद्वारा में काफी हिंदू और सिख अभी भी हैं। इन लोगों ने खुद को निकालने की गुहार भारत से लगाई है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्षी दलों को सरकार की अफगान नीति के बारे में आज जानकारी दी। एक घंटे से ज्यादा चली बैठक में जयशंकर ने अब तक चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी सभी दलों के नेताओं को दी। बैठक में मंत्री पीयूष गोयल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों विदेश राज्य मंत्री भी मौजूद थे।