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Gaganyaan Mission के लिए ISRO ने कसी कमर, अंतरिक्ष में भारत की धाक जमाने का ये है प्लान

Gaganyaan Mission: इसरो में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक डा. उन्नीकृष्णन नायर ने मनोरमा ईयर बुक, 2022 में लिखे अपने एक लेख में बताया है कि इसरो के गगनयान आर्बिटल माड्यूल के दो हिस्से हैं, पहला क्रू माड्यूल जहां अंतरिक्ष यात्रियों के रहने की जगह होगी और दूसरा सर्विस मॉड्यूल।

इसरो देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को अगले साल लांच करने की तैयारियों में पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। इस बीच मिशन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियां साझा करते हुए इसका खाका पेश किया है, क्या हैं ये जानकारियां और क्या है इस मानव मिशन की कामयाबी के लिए इसरो की तैयारी? इस वीडियो में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे। भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन गगनयान के पूरे प्लान का खुलासा भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने किया है। इसरो में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक डा. उन्नीकृष्णन नायर ने मनोरमा ईयर बुक, 2022 में लिखे अपने एक लेख में बताया है कि इसरो के गगनयान आर्बिटल माड्यूल के दो हिस्से हैं, पहला क्रू माड्यूल जहां अंतरिक्ष यात्रियों के रहने की जगह होगी और दूसरा सर्विस मॉड्यूल। पृथ्वी की आर्बिट में परिक्रमा के दौरान ऑर्बिटल मॉड्यूल की गति करीब 7,800 मीटर प्रति सेकेंड होगी।

gaganyaan mission

अभियान पूरा करने के बाद क्रू माड्यूल को भारतीय तट के पास अरब सागर में उतारा जाएगा क्योंकि ये तुलनात्मक रूप से बेहद शांत है, हालांकि विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी पर भी विचार किया जा रहा है। गगनयान के क्रू माड्यूल में एहतियात के तौर पर हर अंतरिक्ष यात्री के लिए जीवनरक्षक किट होंगी जो दो दिनों के लिए पर्याप्त होंगी।

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इसरो इस बात के प्रति आश्वस्त है कि क्रू माड्यूल को समुद्र में गिरने के दो घंटे के अंदर ही तलाश लिया जाएगा। इस मिशन के तहत 4 अंतरिक्षयात्री स्पेस की सैर करेंगे उनकी ट्रेनिंग कुछ ऐसी होगी। देश के पहले मानव मिशन गगनयान को सकुशल पूरा करने के लिए रवाना होने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में 15 महीनों का सामान्य अंतरिक्ष उड़ान की ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें गगनयान के लिए विशेष प्रशिक्षण देने के लिए बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है जिसमें उन्हें रवानगी की सावधानियां, अंतरिक्ष में ग्रेविटी के बिना रहना, वहां के विषम तापमान को सहना और वापसी में बचाव के गुर सिखाए जाएंगे। अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों से खुद को बचाने के लिए चारों क्रू सदस्यों को बर्फ, पानी, पहाड़ और रेगिस्तान में विशेष जीवनरक्षक ट्रेनिंग दी जाएगी, उन्हें जीवनरक्षक किट का इस्तेमाल भी सिखाया जाएगा। स्पेस में एक हफ्ता बिताने के बाद गगनयान धरती पर लौटेगा।