नई दिल्ली। पेगासस स्पाईवेयर से नजरदारी मामले में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के दोनों सदनों में बयान देकर आरोपों को गलत बताया था। अब इस मामले में मोदी सरकार के रक्षा मंत्रालय ने एक सवाल का लिखित जवाब दिया है। इस जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि उसने पेगासस बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO से कोई लेन-देन नहीं किया है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीस के साथ कोई संबंध नहीं रखा है। बता दें कि 19 जुलाई को शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले 17 मीडिया संस्थानों ने खबर छापी थी कि पेगासस से भारत में तमाम पत्रकारों, मोदी विरोधियों, नेताओं और जजों की नजरदारी की गई। जिसके बाद से संसद में हंगामा मचा हुआ है और कामकाज नहीं हो रहा है।
18 जुलाई को पेगासस पर खबर आने के बाद संसद में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि संसद के सत्र से ठीक पहले ऐसी खबरें जानबूझकर लाई जा रही हैं। उन्होंने इस बारे में सारी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। वैष्णव ने अपने बयान में कहा था कि पेगासस का आरोप भारतीय लोकतंत्र और सरकार की छवि खराब करने के लिए लगाया गया है। उन्होंने सोमवार को दोबारा यही बयान संसद में दिया।
इस मामले में कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं। वहां एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने सवाल पूछा कि पेगासस का मामला तो दो साल पुराना है, तो नजरदारी का आरोप लगाने वालों ने चुप्पी क्यों साध रखी थी। साथ ही चीफ जस्टिस ने यह सवाल भी पूछा कि जो लोग कह रहे हैं कि पेगासस से उनकी नजरदारी की गई, वे आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज करा रहे हैं।