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Good News: भारत ने खतरनाक मंकीपॉक्स के वायरस को अलग करने में पाई कामयाबी, वैक्सीन बनाने के लिए टेंडर जारी

आईसीएमआर की तरफ से बताया गया है कि एनआईवी लैब ने भारत में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों के सैंपल से वायरस को अलग करने में सफलता हासिल की है। आईसीएमआर ने बताया है कि इस वायरस के स्ट्रेन की जांच की गई। इससे पता चला कि दुनिया में फैल रहे वायरस के वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन से ये 99.85 फीसदी मिलता जुलता है।

नई दिल्ली। दुनियाभर के 70 देशों में मंकीपॉक्स का खतरनाक वायरस फैला हुआ है। भारत में भी अब 6 केस हो चुके हैं। ताजा तीन मरीज यूपी के गाजियाबाद में मिलने की खबर है। इसके साथ ही सरकारी तंत्र इसे महामारी की स्थिति तक न पहुंचने देने के लिए दिन-रात एक कर रहा है। इस बारे में ताजा और अच्छी जानकारी इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ICMR ने दी है। आईसीएमआर ने बताया है कि उसके राष्ट्रीय विषाणु संस्थान NIV की लैब ने मंकीपॉक्स के वायरस को अलग कर लिया है। दुनिया में भारत पहला देश है, जिसने इस वायरस को अलग करने में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही मंकीपॉक्स का वैक्सीन तैयार करने की राह आसान होगी।

आईसीएमआर की तरफ से बताया गया है कि एनआईवी लैब ने भारत में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों के सैंपल से वायरस को अलग करने में सफलता हासिल की है। आईसीएमआर ने बताया है कि इस वायरस के स्ट्रेन की जांच की गई। इससे पता चला कि दुनिया में फैल रहे वायरस के वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन से ये 99.85 फीसदी मिलता जुलता है। आईसीएमआर ने इसके साथ ही टेंडर निकाला है कि अगर कोई भारतीय वैक्सीन निर्माता इस बीमारी को रोकने के लिए वैक्सीन बनाना चाहता है, तो वो आगे आए। इसके साथ ही इस वायरस से ग्रस्त मरीज की सैंपल जांच के लिए किट बनाने के लिए भी आईसीएमआर ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी किया है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने मंकीपॉक्स को बहुत खतरनाक बीमारी करार दिया है। इस बीमारी के मरीजों में पहले तीन चार दिन बुखार आता है। फिर जिस्म पर पानी भरे फफोले जैसे दिखते हैं। मरीजों के लिम्फ ग्लैंड भी बढ़ जाते हैं। उनको सिरदर्द, पेशियों में दर्द, गला खराब, कफ और जल्दी हांफने की शिकायत भी हो जाती है।