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Video: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, हिंदू की अर्थी को मुस्लिम समाज ने कंधा दिया, ईद के दिन कुर्बानी छोड़ ‘राम नाम सत्य है’ के लगाए नारे

Video: इस दौरान उन्होंने श्मशान में अंतिम क्रिया-कर्म का पूरा बंदोबस्त कराया। रविवार दोपहर 12 बजे चांदपोल स्थित श्मशान घाट से जब सब लौटकर आए तो फिर ईद की कुर्बानी दी गई। कुर्बानी से पहले इंसानियत और भाईचारे का ये नजारा अब लोगों की जुबां पर बना हुआ है। 

नई दिल्ली। भारत को अनेकता में एकता का देश कहा जाता है। भारत में भले ही अनेक धर्मों के लोग हों लेकिन फिर भी हर त्योहार, हर धर्म का सम्मान किया जाता है। एक दिन पहले ‘ईद-उल-अजहा’ (बकरीद) के मौके पर राजस्थान में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली। बता दें, यहां मुसलमान भाइयों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। न सिर्फ मुसलमान भाइयों ने अर्थी को कंधा दिया बल्कि ‘राम नाम सत्य है’ के नारे भी लगाए। ईद के मौके पर कुर्बानी छोड़ श्मशान गए और चिता पर लकड़ियां तक सजाईं। जयपुर के संजय नगर स्थित भट्टा बस्ती इलाके में जिसने भी इस नजारे को देखा सभी तारीफ करने को मजबूर हो गए।

बता दें, शनिवार देर रात भट्टा बस्ती के वार्ड नंबर-6 निवासी सेंसर पाल सिंह तंवर का निधन हो गया था। सेंसर पाल सिंह पिछले दो-तीन दिन से बीमार चल रहे थे। उनका SMS हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। ईद-उल-अजहा के दिन सुबह-सुबह उनके निधन की खबर सामने आई और पूरे मोहल्ले में फैल गई। सेंसर पाल के परिवार में लोगों की संख्या ज्यादा नहीं थी कि शव यात्रा निकालकर अंत्येष्टि की जा सके। ऐसे में उनके पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग सामने आए और करीब 2 किलोमीटर की शव यात्रा निकाली। इस शवयात्रा में हिंदू-मुस्लिम की एकता को जिसने भी देखा, उसने तारीफ की। बता दें, करीब 35 साल से सेंसर पाल सिंह मुस्लिम समाज के लोगों के बीच ही रहते थे। ऐसे में उनके अंतिम समय में मुस्लिम समाज उनके लिए आगे आया।

अंत्येष्टि से लौटकर दी कुर्बानी

इस मामले को लेकर सादिक चौहान ने बताया कि ईद-उल-अजहा (बकरीद) के दिन सुबह 8 बजे भट्टा बस्ती स्थित नूरानी मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए लोग इकट्ठे हो रहे थे। इतने में सेंसर पाल सिंह के निधन की जानकारी मिली। इसके बाद रशीद खान आरके के साथ मुस्लिम समाज के लोग यहां से सीधे सेंसर पाल सिंह की अर्थी को कंधा देने और अंतिम संस्कार के लिए वहां से निकल पड़े।

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इस दौरान उन्होंने श्मशान में अंतिम क्रिया-कर्म का पूरा बंदोबस्त कराया। रविवार दोपहर 12 बजे चांदपोल स्थित श्मशान घाट से जब सब लौटकर आए तो फिर ईद की कुर्बानी दी गई। कुर्बानी से पहले इंसानियत और भाईचारे का ये नजारा अब लोगों की जुबां पर बना हुआ है।