नई दिल्ली। जहां एक तरफ नए कृषि कानून को लेकर दिल्ली में आंदोलन जारी है वहीं हरियाणा से किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। बता दें हरियाणा में खुले बाजार में सरसों की बिक्री के दौरान इतना भाव मिला कि, किसानों को मोटा फायदा हुआ है। दरअसल खुले बाजार में किसानों को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से 2400 से 2600 रुपये प्रति क्विंटल तक ज्यादा दाम मिले हैं। असर ऐसा देखा गया कि, सरकारी एजेंसियां मंडियों में सरसों की खरीद की राह देखती रहीं लेकिन किसानों ने खुले बाजार में अधिक रेट मिलने पर वहां सारी सरसों बेच दी। सरकार किसानों के इस निर्णय से उत्साहित है। हालांकि इससे एक संकट भी खड़ा हुआ है, वो ये कि खुले बाजारों में बिक्री होने से अब सरकारी तेल मिलों के सामने सरसों का संकट पैदा हो सकता है। राज्य सरकार को खुद ही सरसों की कमी के चलते तेल मिलों के लिए खुले बाजार से सरसों की खरीद करनी पड़ सकती है।
बता दें कि खुले बाजारों में बिक्री को लेकर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों में भी प्रविधान है। कानून में कहा गया है कि, यदि किसी किसान की कोई फसल सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पर खुले बाजार में बिकती है तो वह वहां जाकर बेच सकता है। वहीं नियम के मुताबिक अगर खुले बाजार में किसान को अपनी फसल के दाम सरकार द्वारा तय किए गए समर्थन मूल्य से कम मिल रहा है तो सरकार उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हर हाल में खरीदेगी। हालांकि राज्य के किसान इन तीन कृषि कानूनों से पहले ही खुले बाजार में अधिक रेट पर सरसों बेचने लगे थे।
किसानों को खुले बाजारों में अधिक रेट मिलने से सरकार को काफी संतोष है। ऐसा इसलिए क्योंकि, सरकार का मानना है कि इससे किसानों को नए कृषि कानून के प्रति सकारात्मक पहलू दिखेगा। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के प्रविधान भी यही कहते हैं। यह कानून किसी भी किसान को अनाज मंडी या खुले बाजार में अपनी सुविधा के मुताबिक फसल बेचने की आजादी देते हैं। हरियाणा के किसानों ने ऐसा कर दिखाया है।
बता दें कि सरसों पर मिले फायदे से किसानों में खुशी है, उनका कहना है कि, लॉकडाउन के चलते काफी खर्चा हो गया था लेकिन जिस तरह से सरसों के दाम मिले हैं, उससे राहत मिलेगी।