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85 वर्षीय RSS स्वयंसेवक ने पेश की त्याग की मिसाल, ‘मैं अपनी ज़िंदगी जी चुका’ कह कर युवा को दे दिया अपना बेड

Corona: दरअसल नागपुर के नारायण भाऊराच दाभाड़कर को कोरोना संक्रमित होने पर बड़ी मशक्कत के बाद इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में बेड मिल सका था।

नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामलों की रफ्तार के बीच अस्पतालों की हालत भी बहदाल नजर आ रही है। क्षमता से अधिक मरीजों को देखते हुए अस्पतालों में सभी को बेड मिल पाना मुश्किल हो रहा है। लोगों को बेड व मेडिकल ऑक्सीजन पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे में नागपुर के रहने वाले नारायण भाऊराच दाभाड़कर ने एक ऐसी मिसाल पेश की जो इस महामारी में शायद ही किसी के द्वारा हो पाए। दरअसल नागपुर के नारायण भाऊराच दाभाड़कर को कोरोना संक्रमित होने पर बड़ी मशक्कत के बाद इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में बेड मिल सका था। लेकिन उन्होंने अपना बेड किसी और व्यक्ति के लिए देते हुए कहा- ‘मैंने अपनी जिंदगी जी ली है। मेरी उम्र 85 साल है। इस महिला का पति युवा है। उसे बेड दे दिया जाए।’ ये कहते हुए दाभाड़कर घर लौट आए थे। गौरतलब है कि वो कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच गया था।

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सांकेतिक

इस स्थिति को देखते हुए उनकी बेटी और दामाद ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। पहले तो इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में बेड खाली ना होने की वजह से काफी मशक्कत करनी पड़ी, फिर बाद में जब बेड मिला तो इलाज की प्रक्रिया शुरू हुई। इसी दौरान उन्होंने देखा कि, एक महिला अपने कोरोना संक्रमित पति को बचाने के लिए बेड की गुहार लगाने वहां पहुंची।

उस महिला के 40 साल के पति को भर्ती करने से अस्पताल ने बेड खाली ना होने की वजह से मना कर दिया था। ऐसे में दाभाड़कर ने अपनी तरफ से उस महिला के पति को अपना बेड देने की बात कही। उन्होंने उस महिला को अपने पति के लिए ऑफर कर दिया। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने भी कंसेंट फॉर्म पर साइन करा लिए। हालांकि घर पहुंचने के तीन दिन बाद बिना उचित इलाज ना मिल सकने के कारण दाभाड़कर की मौत हो गई।

नारायण भाऊराच दाभाड़कर को लेकर सीएम शिवराज ने क्या लिखा

नारायण भाऊराच दाभाड़कर के त्याग को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में उनकी सराहना की। उन्होंने लिखा कि, ‘“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।” ऐसा कह कर कोरोना पीड़ित संघ के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया।

अगले ट्वीट में मुख्यमंत्री शिवराज ने लिखा कि, “दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम! आप समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। दिव्यात्मा को विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शांति!”