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Sameer Wankhede VS Nawab Malik: मलिक ने फिर फोड़ा समीर वानखेड़े पर बम, बॉम्बे HC में जमा कराया एक और सबूत

Sameer Wankhede VS Nawab Malik: अपने इन आरोपों को साबित करने के लिए, नवाब मलिक ने वानखेड़े का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया है। इस जन्म प्रमाण पत्र में उनके पिता का नाम दाऊद वानखेड़े और धर्म वाले कॉलम में मुस्लिम लिखा था। हालांकि वानखेड़े के परिवार का कहना था कि जन्म प्रमाण पत्र प्रामाणिक नहीं था।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के बीच जारी जंग खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। एक बार फिर मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट को अतिरिक्त दस्तावेज सौंपे हैं। मलिक ने समीर वानखेड़े पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के स्कूल प्रवेश फॉर्म और प्राथमिक स्कूल प्रमाण पत्र में कहा गया है कि वह मुस्लिम हैं। बता दें, महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक द्वारा समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों के बाद समीर के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इस दायर मुकदमें में ज्ञानदेव वानखेड़े ने मलिक के आरोपों के लिए 1.25 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की थी। इसके साथ ही वानखेड़े ने अदालत से नवाब मलिक को उनके या उनके परिवार के खिलाफ और ‘मानहानिकारक आरोप’ लगाने से रोकने के लिए भी कहा था।

मुस्लिम से शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाया

नवाब मलिक ने दावा करते हुए कहा है कि वानखेड़े के वरिष्ठ ने एक मुस्लिम से शादी करने के लिए पहले इस्लाम धर्म अपनाया। इसके बाद समीर वानखेड़े के साथ ही उनके बच्चों को मुस्लिम के रूप में पाला गया लेकिन जब उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में फायदा उठाना था तो उन्होंने (समीर) अपने पिता के महार समुदाय में वापसी कर ली, जो कि एक अनुसूचित जाति है।

nawab malik

वानखेड़े का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया

अपने इन आरोपों को साबित करने के लिए, नवाब मलिक ने वानखेड़े का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया है। इस जन्म प्रमाण पत्र में उनके पिता का नाम दाऊद वानखेड़े और धर्म वाले कॉलम में मुस्लिम लिखा था। हालांकि वानखेड़े के परिवार का कहना था कि जन्म प्रमाण पत्र प्रामाणिक नहीं था, लेकिन मलिक के वकील ने परिवार को समीर वानखेड़े का मूल जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहकर उच्च न्यायालय में तर्क दिया।