नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यूपी निकाय चुनाव के लिए कमेटी का गठन किया गया है। ये कमेटी चुनाव ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करेगी। बता दें कि योगी सरकार ने 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। गौरतलब है कि मंगलवार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को झटका देते हुए यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद से सियासी बयानबाजी देखने को मिली थी। वहीं अब निकाय चुनाव के लिए कमेटी का गठन किया गया है। बता दें कि पिछड़ा आयोग में 5 मेंबर होंगे। जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) राम अवतार सिंह करेंगे। आयोग में 2 रिटायर्ड IAS अधिकारी महेंद्र कुमार, चोब सिंह वर्मा होंगे। इसके अलावा संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी के नाम शामिल हैं। सरकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी के निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा।
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— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) December 28, 2022
आयोग में इन्हें किया गया शामिल
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है। इसमें रिटायर्ड आईएएस चोब सिंह वर्मा, रिटायर्ड आईएएस महेन्द्र कुमार, भूतपूर्व विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर विधि परामर्शी व अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी को आयोग में शामिल किया गया है। आयोग निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करेगी।
गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव करने के बात कही थी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजे को खटखटा सकते है। सीएम योगी ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए लिखा, ”यदि आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।”
यदि आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 27, 2022
पिछली सरकारों में भी रैपिड सर्वे के आधार पर ही होता था निकाय चुनाव
हाईकोर्ट से पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और बसपा ने भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर ले लिया था, जबकि उनके शासनकाल में भी पिछड़ा वर्ग के रैपिड सर्वे के आधार पर ही निकाय चुनाव संपन्न होते आए हैं। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से अब पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने के साथ ही ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश में शुरू हुआ सियासी घमासान थम सकता है।
गौरतलब है कि निकायों में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की व्यवस्था, उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 में वर्ष-1994 से की गयी है। पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण देने के लिए अधिनियम में सर्वे कराये जाने की व्यवस्था भी की गयी है। इसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक निकाय में पिछड़ा वर्ग का रैपिड सर्वेक्षण कराया जाता है। 1991 के बाद अब तक नगर निकायों के सभी चुनाव (वर्ष-1995, 2000, 2006, 2012 एवं 2017) अधिनियम में दिये गये इन्ही प्राविधानों एवं रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कराये गये हैं। इतना ही नहीं पंचायती राज विभाग द्वारा पिछड़े वर्गों का रैपिड सर्वे मई वर्ष 2015 में कराया गया था। अब तक उसी सर्वे के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव 2015 और 2021 में कराया गया है।