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UP: CM योगी के नाम से इस शख्स को आपत्ति, कोर्ट से की बदलवाने की मांग, लेकिन खुद की ही हो गई दुर्गति  

उधर, हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता के इन कृत्यों को ध्यान में रखते हुए उस पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगा दिया है। फिलहाल, इस पूरे मामले की चर्चा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। सभी लोग इस बात को जानकर हैरान हो रहे हैं कि आखिर यह कैसा गजब का मामला है।

नई दिल्ली। यूं तो खबरों की इस कायनात में बेशुमार खबरों की आमद जारी रहती है, लेकिन कुछ खबरें ऐसी होतीं हैं जिन्हें जाकर दर्शकों से लेकर पाठकों तक के कान खड़े हो जाया करते हैं। किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाया करती है, तो किसी का दिमागी संतुलना बिगड़ जाया करता है, तो किसी के होश फाख्ता हो जाया करते हैं। आज इस रिपोर्ट में हम आपको एक ऐसी ही खबर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जाकर आप हैरत के उस सैलाब में हो जाएंगे सराबोर जहां से आपके निकलना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन भी हो सकता है। अब आप मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन सी खबर है, जिसकी वस्तुस्थिति से रूबरू कराने जा से पहले आप ऐसी तिस्लमभरी भूमिका में हमें उलझाते ही जा रहे हैं। जरा कुछ खुलकर बताएंगे कि आखिर माजरा क्या है।

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तो चलिए अब आपको पूरा माजरा तफलीस से बताते हैं। दरअसल, यह खबर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ी हुई है। अब आपको तो पता ही है कि सीएम योगी के प्रशंसकों से लेकर आलोचकों की तादाद किस तेजी बढ़ती ही जा रही है।  इसलिए वह उनका कोई आलोचक ही होगा, जिसने उन्हें लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटाकर वहां याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता ने मांग की कि सीएम योगी आदित्यनाथ को दोबारा उनके असली नाम से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी चाहिए। बता दें कि बीते दिनों योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की कि वे अपने असली नाम से मुख्यमंत्री पद की शपथ लें। वहीं, कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका पर जहां सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका निराधार है। इसमें कोई दम नहीं है। यह समय व्यर्थ करने वाली याचिका है। उधर, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने मनीष गोयल ने कहा कि यह याचिका विचार करने के लायक नहीं है। यह बिल्कुल ही तर्कहीन है। महाधिवक्ता ने कहा कि इस व्यक्ति को किसी भी संवैधानिक  पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ याचिका दाखिल करने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा हाईकोर्ट के नियमों के अनरूप याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल करते दौरान खुद के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है। आमतौर पर हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार अपने बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी होती है। लेकिन उपरोक्त मामले में याचिकाकर्ता ने ऐसा करना गैर-जरूरी समझा।

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उधर, हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता के इन कृत्यों को ध्यान में रखते हुए उस पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगा दिया है। फिलहाल, इस पूरे मामले की चर्चा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। सभी लोग इस बात को जानकर हैरान हो रहे हैं कि आखिर यह कैसा गजब का मामला है। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने महंत का जीवन स्वीकार करने के उपरांत अपना नाम बदल दिया था। तब से उनके सार्वजनिक जीवन में उनके इसी नाम से जाना जाता है। लेकिन न जाने इस शख्स को ऐसी कौन सी आपत्ति हुई कि इसने इनका नाम बदलवाने के लिए यह हाईकोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गया है।